जड़ों से जुड़ाव में मिलेगी लुप्त विधियों की जानकारी
हिमाचल की लुप्त हो चुकी या होने की कगार पर पुरानी चीजों व विधियों की जानकारी अब जड़ों से जुड़ाव में मिलेंगी।
कुलभूषण चब्बा, सुंदरनगर
हिमाचल की लुप्त हो चुकी या होने की कगार पर पुरानी चीजों व विधियों की जानकारी अब जड़ों से जुड़ाव में मिलेंगी। जड़ों से जुड़ाव पुस्तक ऐसी पहली पुस्तक होगी जिसमें पाठकों को उन पुरानी वस्तुओं और विधियों की जानकारी मिलेगी, जो या तो लुप्त हो चुकी हैं या फिर होने की कगार पर हैं। इस पुस्तक में पुराने समय में प्रयोग में लाए जाने वाले वे शब्द भी पढ़ने को मिलेंगे जो कभी प्रचलन में हुआ करते थे। सुंदरनगर के युवा साहित्यकार पवन चौहान की यह पुस्तक जल्द बाजार में उपलब्ध होगी। पुस्तक अभी प्रकाशन की प्रक्रिया में है। यह पुस्तक हमारी मूल्यवान धरोहर को संजोने का एक शानदार प्रयास है। जड़ों से जुड़ाव नामक शीर्षक से पाठकों, शोधार्थियों व वर्तमान पीढ़ी को यह पुस्तक हमारे अतीत से रूबरू करवाएगी। लेखक ने पुस्तक में उन सभी उन पुरानी चीजों व विधियों को समाहित किया है जो पूरी तरह से लुप्त हो गई हैं या फिर अपनी अंतिम सांसे गिन रही हैं।
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पुस्तक में शामिल किए हैं 45 आलेख
पवन चौहान ने पुस्तक में खालह्ड़ू, तान, भरनी, त्रयांगल, छिकड़ी, धुईं, खिद, खंदोल्हु, उखल्ल, घ्वारा, पाथा, कन्वाला, सलोटू व उरछ सहित लगभग 45 आलेख शामिल किए गए हैं। चीजों के नामकरण, बुजुर्गो के अनुभव, इतिहास, वैज्ञानिक तथ्य से लेकर मुहावरों व पहेलियों आदि द्वारा इन सभी आलेख ो सजाया है।
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इस पुस्तक के अलावा पवन चौहान की कविता की किताब 'किनारे की चट्टान' और बाल कहानी संग्रह 'भोलू भालू सुधर गया है' इसी नवंबर में आई। इनकी एक अन्य पुस्तक हिमाचल का बाल साहित्य वर्तमान में हिमाचल के साथ पूरे देशभर में पाठकों व शोधार्थियों के बीच चर्चा का विषय बनी हुई है। इसमें लेखक ने हिमाचल के सभी बाल साहित्यकारों को उनके व्यक्तित्व व कृतित्व के साथ उनकी लेखन की रुचि की विधा के साथ सजाया है।
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यह पुस्तक नई पीढ़ी को अपनी जड़ों से जोड़ने में मददगार साबित होगी। यह हमें उस अतीत से रूबरू करवाएगी जब हमारे बुजुर्गो ने अपने अनुभवों और जरूरत के मुताबिक इन चीजों को उस मुश्किल समय में इजाद किया था और अपने कार्यो को आसान बनाया था।
-पवन चौहान, साहित्यकार सुंदरनगर।