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तीन चरणों में होगा बिलासपुर-मनाली-लेह रेललाइन का निर्माण

जागरण संवाददाता मंडी बिलासपुर-मनाली-लेह रेललाइन का निर्माण तीन चरणों में होगा। इसकी लं

By JagranEdited By: Published: Tue, 01 Dec 2020 06:13 PM (IST)Updated: Tue, 01 Dec 2020 06:13 PM (IST)
तीन चरणों में होगा बिलासपुर-मनाली-लेह रेललाइन का निर्माण
तीन चरणों में होगा बिलासपुर-मनाली-लेह रेललाइन का निर्माण

जागरण संवाददाता, मंडी : बिलासपुर-मनाली-लेह रेललाइन का निर्माण तीन चरणों में होगा। इसकी लंबाई 475 किलोमीटर के बजाय अब 465 किलोमीटर होगी। राष्ट्रहित की इस रेललाइन को धरातल पर उतारने के लिए रेल मंत्रालय ने कमर कस ली है। तुर्की की युकसेल कंपनी के सात विशेषज्ञों व उत्तरी रेलवे के तीन वरिष्ठ अधिकारियों ने रिफाइन अलाइनमेंट कार्य को अंतिम रूप देने के लिए 23 नवंबर से कुल्लू व मंडी जिलों में डेरा डाला है।

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10 सदस्यीय टीम को पांच दिसंबर तक काम पूरा करना है। रिफाइन अलाइनमेंट के अलावा मृदा परीक्षण, पर्यावरण से जुड़े विभिन्न मुद्दों, जियोफिजिकल व जियोलॉजिकल सर्वेक्षण पर साथ में काम हो रहा है। विशेषज्ञों की टीम रेललाइन की लंबाई व निर्माण लागत कम करने की संभावना टटोल रही है। पहले चरण में रेललाइन का निर्माण बिलासपुर से मनाली तक होगा। दूसरे चरण में मनाली से उपसी व तीसरे चरण में उपसी से लेह तक निर्माण होगा। उत्तरी रेलवे के मुख्य अभियंता एवं परियोजना प्रमुख हरपाल सिंह, उपमुख्य अभियंता व वरिष्ठ इंजीनियर खुद मोर्चे पर डटे हैं। रेललाइन निर्माण के लिए रक्षा मंत्रालय पैसा उपलब्ध करवाएगा। अगर समय पर बजट मिलता रहा तो रेललाइन के निर्माण का सपना 10 साल में साकार हो सकता है। करीब 51 फीसद रेलमार्ग सुरंगों व पुलों से होकर गुजरेगा।

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हर मौसम में रेललाइन पर दौड़ेगी रेल

बिलासपुर-मनाली-लेह रेललाइन पर हर मौसम में रेलगाड़ी दौड़ेगी। बर्फ भी रेलगाड़ी की आवाजाही नहीं रोक पाएगी। भारी बर्फवारी वाले क्षेत्रों में हर समय स्नो कटर मौजूद रहेंगे। उत्तरी रेलवे जम्मू-कश्मीर रेलवे ट्रैक पर स्नो कटर का सफलतापूर्वक इस्तेमाल कर रहा है।

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हिमस्खलन रोकने के लिए सासे की मदद

रेललाइन को हिमस्खलन से कोई नुकसान न हो इसके लिए रेल मंत्रालय

हिम एवं अवधाव अध्ययन संस्थान (सासे) की मदद लेगा। सासे के विशेषज्ञ अटल टनल रोहतांग के निर्माण में सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) की मदद कर चुके हैं।

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बिलासपुर-मनाली-लेह रेललाइन का निर्माण तीन चरणों में होगा। रेललाइन की लंबाई 475 के बजाय 465 किलोमीटर होगी। तुर्की की युकसेल कंपनी के सात विशेषज्ञों के साथ रिफाइन अलाइनमेंट कार्य को अंतिम रूप दिया जा रहा है। यह काम पांच दिसंबर तक चलेगा।

-हरपाल सिंह, परियोजना प्रमुख एवं मुख्य अभियंता उत्तरी रेलवे।


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