वीरभद्र के बाद जनता ने भी ठुकराया सुखराम का माफीनामा
वीरभद्र सिंह से माफी मांग चूके पूर्व केंद्रीय मंत्री पंडित सुखराम ने मंडी की जनता से विधानसभा चुनाव में भाजपा का साथ देने के लिए माफी मांगी।
हंसराज सैनी, मंडी। अपनी गलतियों को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह से माफी मांग चूके पूर्व केंद्रीय मंत्री पंडित सुखराम ने मंडी की जनता से विधानसभा चुनाव में भाजपा का साथ देने के लिए माफी मांगी। लेकिन जनता जनार्दन ने भी माफी नहीं दी। सुखराम ने 15 मई को तीन धर्मों की संगम स्थली रिवालसर में अपने पोते आश्रय शर्मा के लिए मतदाताओं की नब्ज टटोलने गए थे। विधानसभा चुनाव में सुखराम परिवार सहित कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल हो गए थे। इससे कांग्रेस को जिला की सब 10 विधानसभा क्षेत्रों में हार का मुंह देखना पड़ा था। कांग्रेस प्रत्याशियों की हार इतने ज्यादा मतांतर से हुई थी। जिसकी न तो खुद उन्होंने और न ही जनता ने कल्पना की थी।
बल्ह हलके में पूर्व मंत्री प्रकाश चौधरी की करारी हार में सुखराम का हाथ रहा था। सुखराम ने प्रकाश चौधरी के विरोध में रिवालसर, बैहना, नेरचौक सहित कई स्थानों पर जनसभा की थी और उन सभाआें में मंच से कहा था, अगर मैं पौधा लगाना जानता हूं तो उसे जड़ से उखाड़ना भी आता है। सुखराम के यही बोल प्रकाश चौधरी पर भारी पड़ गए थे। ऐसा ही आक्राेश अन्य हलकों में भी जनता में देखने को मिल रहा था। इसे भांप सुखराम जनता से माफी मांगने पर विवश हो गए थे। आश्रय शर्मा के नामांकन के दौरान सेरी मंच पर आयोजित सभा में सुखराम ने वीरभद्र सिंह से सार्वजनिक तौर पर माफी मांगी थी। वीरभद्र सिंह ने उस दिन तो कोई जवाब नहीं दिया था। मगर कुछ दिनों बाद नाचन हलके के चैलचौक में आयोजित सभा में सुखराम को उनकी गलतियों के लिए माफ करने से मना कर दिया था।
लोकसभा चुनाव का डंका बजने से कुछ दिन पहले तक सुखराम, वीरभद्र सिंह को जमकर कोस रहे थे। विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी छोड़ने की वजह वीरभद्र की ओर से मिल रही घुटन बताई थी। चुनाव प्रचार के दौरान दादा-पोता वीरभद्र सिंह की शान में जमकर कसीदे पढ़े और उन्हें विकास का मसीहा बताने तक से गुरेज नहीं किया। जनता में जाकर सुखराम जगह-जगह रोए भी लेकिन जनता ने उन्हें माफ नहीं किया। नतीजतन उनके पोते आश्रय शर्मा को करारी हार का सामना करना पड़ा।
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