इस गांव में 42 दिन नहीं चलेंगे रेडियो व टीवी, यह है मान्यता
Unique tradition. हिमाचल के इन गांवों के लोगों पर आराध्य देवों गौतम-व्यास ऋषि व नाग देवता का आदेश लागू हो गया है।
जसवंत ठाकुर, मनाली। हिमाचल में कुल्लू घाटी के जर्रे-जर्रे में देव आस्था का चमत्कारिक प्रभाव अन्य बाहरी लोगों के लिए किसी अचंभे से कम नहीं है। देव अनुकंपा से ही यहां के समस्त गांवों की सत्ता चलती है। देव अनुकंपा का साक्षात उदाहरण सोमवार को मनाली के ऐतिहासिक गांव गोशाल में देखने को मिलेगा। मनाली की उझी घाटी के नौ गांव देव आदेश का पालन करने को एक बार फिर तैयार हैं।
सूचना क्रांति के इस दौर में कुल्लू की देव आस्था के कारण गोशाल में टीवी व रेडियो के बटन स्विच ऑफ होने जा रहे हैं। टीवी रेडियो सहित मनोरंजन के सभी साधन को ग्रामीणों ने देव आदेश के चलते अपने से दूर करने की तैयारी कर ली है। देवालयों की सारी घंटियों को बांधने की तैयारी हो रही है, ताकि कोई श्रद्धालु गलती से घंटी बजाकर देव आदेश की आज्ञा का उल्लंघन न कर सके। उझी घाटी के नौ गांव 14 जनवरी से 42 दिन तक देव आदेश में बंधने जा रहे हैं। इन गांवों के लोगों पर आराध्य देवों गौतम-व्यास ऋषि व नाग देवता का आदेश लागू हो गया है। साथ ही, खेत खलियानों पर भी काम करने को प्रतिबंध लग गया है। देवता के स्वर्ग प्रवास से आने के बाद ही सभी शुभ कार्य शुरू होंगे।
यह है मान्यता
मान्यता है कि गांव के आराध्य देव इन दिनों तपस्या में लीन हो जाते हैं तथा देवताओं को शांत वातावरण मिले, इसके लिए ग्रामीण गांव में टीवी व रेडियो नहीं चलाएंगे न ही खेतों का रुख करेंगे। उझी घाटी के गोशाल गांव सहित कोठी, सोलंग, पलचान, रुआड़, कुलंग, शनाग, बुरुआ तथा मझाच के लोग आज भी देव प्रतिबंध का पालन सदियों से पूरी श्रद्धा से कर रहे हैं। व्यापक प्रतिबंध के कारण गोशाल गांव के ग्रामीण रेडियो, टीवी व अन्य मनोरंजन के साधन का प्रयोग नहीं करेंगे, जबकि अन्य गांव के ग्रामीण खेतों का रुख नहीं करेंगे।
युवा वर्ग भी निभा रहा परंपरा
देवलू एवं ग्रामीण मेहर चंद ठाकुर, गोकल, कृष्णा का कहना है उझी घाटी के नौ गांवों के लोग 14 जनवरी से देव प्रतिबंध में बंधने जा रहे हैं। उनके अनुसार बुजुर्ग लोगों सहित युवा वर्ग भी इस प्रतिबंध को आज भी बड़ी श्रद्धा से निभा रहा है। देवता पर अटूट विश्वास का ही कारण है कि इस बार भी घाटी के ग्रामीण देव आज्ञा के पालन को पूरी तरह तैयार हैं।
ऐसे होगी भविष्यवाणी
लोहड़ी के दिन सोमवार को देवता की पिंडी में मिट्टी को छानकर मृदा लेप लगाई जाएगी। देवता के प्रतिनिधि देव विधि अनुसार परंपरा का निर्वहन करेंगे। 42 दिन बाद देवता जब स्वर्ग प्रवास से लौटेंगे तो इस मृदा लेप को हटाया जाएगा। इस लेप से निकलने वाली चीजें सालभर होने वाली घटनाओं का संकेत करेंगी, जिसे भविष्यवाणी के रूप में माना व सुना जाएगा। इस मृदा लेप से कोयला, सेब के पत्ते, फूल, कुंग, पत्थर, रेत, बाल और अन्य चीजें निकलेंगी, जिसका देव समाज में अपना मतलब होगा।