रोहतांग बहाली की राह में बर्फबारी, चोटियों पर बढ़ी ठंड
रोहतांग में हुए ताजा हिमपात से तापमान में काफी गिरावट आयी है बर्फबारी के कारण रोहतांग बहाली का काम भी प्रभावित हुआ है।
मनाली, जेएनएन। जून-जुलाई में देश व दुनिया के सैलानियों को बर्फ से रूबरू करवाने वाले मनाली के पसंदीदा पर्यटन स्थल रोहतांग दर्रा करीब आठ सेंटीमीटर ताजा हिमपात हुआ है। खराब मौसम के कारण तापमान में गिरावट आई है। हिमपात से रोहतांग बहाली का कार्य भी प्रभावित हुआ है।
मंगलवार सुबह से रोहतांग दर्रे सहित आसपास की पहाड़ियों में हिमपात होता रहा है, जबकि लाहुल व मनाली घाटी में बारिश का सिलसिला जारी रहा। रोहतांग दर्रे में बर्फ के फाहे गिरने से सड़क बहाली के कार्य प्रभावित हुआ है। मनाली की ओर से बीआरओ सड़क से बर्फ हटाते हुए 53 किलोमीटर दूर रोहतांग के पार पहुंच गया है। जबकि लाहुल की ओर भी बीआरओ कोकसर से आगे ग्रांफू पहुंच गया है।
चोटियों पर बर्फवारी से बढ़ी ठंड
रोहतांग दर्रे सहित मकरबेद शिकरबेद, हनुमान टीबा, इंद्र किला, हामटा, रानी सुई, भृगु लेक, दशोहर झील,
चन्द्रखनी, फोजल जोत, नगर की ऊंची पहाड़ियों, पांडु रोपा सहित रोहतांग के उस पार बारालाचा दर्रे सहित शिंकुला, दारचा की पहाड़ियों, लेडी ऑफ केलंग, नेनगर, नीलकण्ठ जोत, कुंजम जोत, छोटा व बड़ा शिघरी ग्लेशियर में बर्फ के फाहे गिर रहे हैं। इससे घाटी में ठंड का एहसास हो रहा है। मनाली के पर्यटन स्थल
राहनीनाला, मढी, ब्यासनाला, राहलाफाल व अंजनीमहादेव भी बर्फ के फाहों से सराबोर हुए हैं।
बंद रहा मढ़ी
मनाली-रोहतांग मार्ग के मरम्मत कार्य को लेकर हर मंगलवार को रोहतांग दर्रा सैलानियों के लिए बंद
रहा। एसडीएम मनाली अश्वनी कुमार ने कहा की मंगलवार को रोहतांग दर्रा सैलानियों के के लिए बंद रहा। बीआरओ कमांडर उमा शंकर ने बताया कि रोहतांग दर्रे सहित ऊंची चोटियों में बर्फबारी हो रही है जिससे बीआरओ का कार्य प्रभावित हुआ है। हालांकि मनाली-केलंग मार्ग बहाली आठ किलोमीटर ही शेष रह गई
है, लेकिन मार्ग बहाली मौसम पर निर्भर हो गई है।
सेब की फसल के लिए बारिश वरदान
इन दिनों सेब की फसल के लिए मौसम पूरी तरह से अनुकूल बना हुआ है। मंगलवार को कुल्लू सहित आसपास के इलाके में सुबह से ही रूक-रूक कर बारिश हुई जिस कारण लोगों को ठंड का एहसास हुआ। कुल्लू में दिनभर लोग गर्म कपड़े पहनकर नजर आए मानो आजकल अक्टूबर और नवंबर माह लगा है। वहीं दूसरी ओर बारिश होने से बागवानों के चेहरे खिले हुए हैं। अब बागवानों को सेब की फसल तीन गुणा ज्यादा होने की उम्मीद है।
पिछले कई दिनों से मौसम का रूख देखकर भी यही लग रहा है कि मानों बागवान भी भगवान से इसी की कामना कर रहे थे। सेब की सफल को विकसित होने के लिए ऐसे ही मौसम की आवश्यकता होती और इससे सेब के दानों पर काला धब्बा भी नहीं बनता। बागवान भगवानदास, सुरेश, चेतराम, भारत भूषण, सुखदेव ठाकुर, दीपक, राज कुमार, देवी सिंह, रमेश, सान्या, हरदयाल, आदि का कहना है कि आजकल मौसम ऊंचाई वाले क्षेत्रों में होने वाली सेब की फसल के लिए अनुकूल बना हुआ है। इसे देखकर बागवानों को भी खुशी का ठिकाना नहीं है। उन्होंने कहा कि समय पर धूप खिलने, बारिश होने के कारण सेब की फसल के लिए संजीवनी का काम कर रही है।
बागवान भी सेब बगीचों में जुट गए और जरूरत अनुसार फसल को बचाने के लिए स्प्रे करना शुरू कर दिया है। उधर, बागवानी विभाग से विषय विशेषज्ञ डॉ. उत्तम पराशर का कहना है कि इन दिनों होने वाली बारिश सेब व अन्य फसलों के लिए किसी वरदान से कम नहीं होती है। ऐसे में बागवानों को सलाह दी जाती है कि अपने बगीचे ओलावृष्टि से बचाएं और समय-समय पर स्प्रे आदि करते रहें।
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