सेब के लिए संजीवनी बनेगी बर्फ, बारिश
संवाद सहयोगी कुल्लू प्रदेश के ऊंचाई वाले क्षेत्रों में हिमपात व बारिश बागवानी के लिए संजीवन
संवाद सहयोगी, कुल्लू : प्रदेश के ऊंचाई वाले क्षेत्रों में हिमपात व बारिश बागवानी के लिए संजीवनी का काम करेगी। ऊंचाई और मध्यम इलाकों में भारी हिमपात से बागवानों को सेब की बंपर फसल की उम्मीद जगी है। वहीं निचले क्षेत्रों में बारिश से बागवान खुश हैं। ताजा हिमपात और बारिश से सेब की फसल के लिए आवश्यक चिलिंग आवर्स पूरे होने की संभावना बढ़ गई है। यदि सेब की फ्लावरिग तक मौसम ने इसी तरह साथ दिया तो निश्चित तौर पर सेब की बंपर फसल होने से करोड़ों का कारोबार हो सकता है।
बागवानी विशेषज्ञों की मानें तो सेब की डिलिशियस वैरायटी के लिए दिसंबर से फरवरी तक करीब 1200 से 1800 चिलिंग आवर्स आवश्यक होते हैं। दूसरी फलों के लिए 800 से लेकर एक हजार तक चिलिंग आवर्स की आवश्यकता रहती है। कुल्लू जिले में 24919.50 हेक्टेयर भूमि पर सेब उत्पादन होता है। जिले में सेब समेत प्लम, नाशपाती, अनार, जापानी फल व अन्य फलों का उत्पादन 99,699.57 टन होता है। मौसम को देखकर इस बार सेब की पैदावार पिछले वर्ष से अधिक होने के आसार बढ़ गए हैं। सेब के बगीचों के कार्य में जुटे बागवान
इन दिनों कुल्लू जिले के खराहल, मनाली, मणिकर्ण, बंजार, सैंज, आनी, निरमंड के किसान बागवान बगीचों के कार्य में जुटे हैं। पेड़ों की कांट-छांट, तैलिए बनाने, खरपतवार को हटाने, नए पौधे लगाने के लिए गड्ढे बनाने में जुटे हैं। बागवानों ने सेब की अच्छी वैरायटी के पौधों की बुकिग करना आरंभ कर दिया है। कितने हेक्टेयर में कितना होता है उत्पादन
कुल्लू जिले में 2020-21 में सेब 24919.50 हेक्टेयर भूमि में 92260 टन उत्पादन, प्लम 2158.40 हेक्टेयर भूमि में 3999.28 टन उत्पादन, नाशपाती 383.45 हेक्टेयर भूमि में 1588.68 टन उत्पादन, अनार 403.20 हेक्टेयर भूमि में 634.54 टन उत्पादन, जापानी फल 216.20 हेक्टेयर भूमि में 702 टन उत्पादन, अन्य फल 747 हेक्टेयर भूमि में 515.07 टन उत्पादन होता है। इस बार के मौसम से किसान बागवान खुश हैं। इन दिनों बगीचों के कार्य में व्यस्त होते हैं इसके लिए नमी का होना अति आवश्यक होता है। बारिश और बर्फबारी से अभी तक चिलिग आवर्स भी ठीक हैं। मौसम ऐसा ही रहा तो चिलिग आवर्स पूर्ण हो सकते हैं।
-उत्तम पराशर, विषय विशेषज्ञ बागवानी विभाग कुल्लू।