खंगसर महल में कलाकारों ने मुखौटा नाट्य-नृत्य का किया प्रदर्शन
जागरण संवाददाता केलंग स्नो फेस्टिवल के 74वें दिन रविवार को खंगसर महल में गुंछोद का आयोज
जागरण संवाददाता, केलंग : स्नो फेस्टिवल के 74वें दिन रविवार को खंगसर महल में गुंछोद का आयोजन किया गया। इसमें लाहुल-स्पीति के उपायुक्त पंकज राय मुख्य अतिथि के रूप मौजूद रहे। इस दौरान परंपरागत शरदकालीन मुखौटा नाट्य-नृत्य का प्रदर्शन किया गया।
पुराने समय में ठाकुरों द्वारा गुंछोद का आयोजन मनोरंजन के उद्देश्य से किया जाता था, इसमें स्थानीय कलाकार पारंपरिक तरीके से बनाए मुखौटे पहनकर नृत्य का प्रदर्शन करते थे। इससे पूर्व पारंपरिक पूजा अर्चना का कार्यक्रम संपन्न किया जाता है।
खंगसर गांव में ठाकुरों का 108 कमरों का पुरातन महल मौजूद है, जिसमें यह पारंपरिक मुखौटे आज भी सहेज कर रखे गए हैं जो वर्ष में सिर्फ दो बार गुंछोद पर पर ही नृत्य के लिए निकाले जाते हैं। यह उत्सव एक बार गर्मियों में तथा एक बार शरद ऋतु में मनाया जाता है। इससे जुड़ी कई जनश्रुतियां यहां प्रचलित हैं। पुराने समय में इस आयोजन को देखने लोग दूर-दूर से आया करते थे।
उपायुक्त पंकज राय ने कहा कि यहां की सांस्कृतिक विरासत बहुत समृद्ध एवं अनूठी है। स्नो फेस्टिवल में लाहुल के फागली, हालडा, लोसर, कुन्स, जुकारु, गोची, पूना, योर, येति जैसे प्रमुख त्योहार तथा स्पीति के बुछांग, डला व तेशु उत्सव मनाए गए। उन्होंने बताया कि इस उत्सव से लुप्त परंपराओं को व पुरातन पर्वों को पुनर्जीवन मिला है। शंगजतार लगभग 90 वर्ष के बाद राइंक जातर लगभग 50 साल एवं दारचा क्षेत्र का सेलु नृत्य 40 वर्ष बाद दोबारा जीवंत हुआ है। गाहर घाटी का गमत्सा उत्सव 40 साल बाद पुनर्जीवित हुआ है। उपायुक्त ने बताया कि स्नो फेस्टिवल का समापन सोमवार को ऑनलाइन मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर करेंगे। इस अवसर पर 75 किलो का घी से बना हुआ केक काटा जाएगा। 75 दिन तक चलने वाला यह अनूठा उत्सव सोमवार को जनसहयोग से संपन्न होगा। इस अवसर पर सहायक उपायुक्त राजेश भंडारी, पीओ आइटीडीपी रमन शर्मा, पूर्व जिला परिषद उपाध्यक्ष रिगजिन हायरप्पा मौजूद रहे।