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80 फीसद पौधे हुए कामयाब

संवाद सहयोगी कुल्लू जनसहयोग से कुल्लू जिले में वनों का घनत्व बढ़ा है। जिले के तीन डिवीज

By JagranEdited By: Published: Wed, 01 Jul 2020 06:19 PM (IST)Updated: Wed, 01 Jul 2020 06:19 PM (IST)
80 फीसद पौधे हुए कामयाब
80 फीसद पौधे हुए कामयाब

संवाद सहयोगी, कुल्लू : जनसहयोग से कुल्लू जिले में वनों का घनत्व बढ़ा है। जिले के तीन डिवीजन कुल्लू, पार्वती, सराज व एक लाहुल स्पीति में लाहुल वैली है। वन विभाग के 2019 के सर्वेक्षण में कुल्लू जिले में वन और घने हुए हैं। फॉरेस्ट सर्वेक्षण ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक 2017 के सर्वेक्षण में वन क्षेत्र 582 वर्ग किलोमीटर था जो अब बढ़कर 869.8 वर्ग किलोमीटर हो गए हैं। मध्यम घने वन पहले 843 वर्ग किलोमीटर थे जो अब बढ़कर 880 वर्ग किलोमीटर हो गए हैं।

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वन विभाग कुल्लू द्वारा पिछले वर्ष 1200 हेक्टेयर भूमि पर पौधारोपण किया गया था। इसमें लगभग 80 प्रतिशत पौधे कामयाब भी हुए हैं। इस वर्ष वन विभाग ने 1400 हेक्टेयर भूमि में पौधारोपण करने का लक्ष्य रखा है। इनमें एक बूटा-बेटी के नाम हो या फिर विद्यार्थी वन मित्र योजना के तहत भी वन विभाग द्वारा लगातार पौधारोपण किया गया है। 'एक बूटा बेटी के नाम' योजना के तहत जिला में 635 बच्चों ने जन्म लिया और 501 बच्चों के नाम से पौधे लगाए गए। विद्यार्थी वन मित्र योजना में आठ स्कूलों को लिया गया 10.5 हेक्टेयर में स्कूलों के माध्यम से पौधारोपण किया गया है।

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कुल्लू जिले में लगाई जाती है यह प्रजातियां

कुल्लू जिला के जंगलों में सबसे ज्यादा देवदार के पौधे लगाए जाते हैं। इसके अलावा बालओक, अखरोट, चुली, खनोर, रिमिनिया, रिठा, बान, तोष, दाडू, अमलुक, रखाल, ब्रौडलीव, सैलिक, मोहरू, खरशु, तूणी आदि के पौधे लगाए जाते हैं। अधिक ऊंचाई वाला क्षेत्र होने के कारण ये पौधे लगाए जाते हैं।

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कुल्लू जिले में वन 287 वर्गमीटर अधिक घने हुए हैं। मध्यम वन 37 वर्गमीटर बढे़ हैं। जिला कुल्लू और लाहुल स्पीति में वन विभाग हर वर्ष पौधारोपण करता है। इसमें ग्रामीणों व समाजसेवियों के सहयोग से इस तरह के कार्य को अंजाम दिया जाता है। इस वर्ष भी 1400 हेक्टेयर भूमि में पौधारोपण किया जाएगा।

-अनिल शर्मा अरणयपाल वन वृत कुल्लू लाहुल।


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