प्रकृति ने उजाड़ दिया नेचर पार्क
प्रेम वर्मा, लगवैली देवभूमि कुल्लू घाटी पर वर्ष 1995 के बाद कुदरत का ऐसा कहर बरपा कि यहा
प्रेम वर्मा, लगवैली
देवभूमि कुल्लू घाटी पर वर्ष 1995 के बाद कुदरत का ऐसा कहर बरपा कि यहां प्रकृति ने वन विभाग के बबेली स्थित नेचर पार्क को उजाड़ कर रख दिया। सप्ताह भर पहले तक जिस पार्क में आए समय सैकड़ों लोग कुदरत के नजारे ले रहे थे, वहां अब ब्यास की बाढ़ में आई सिल्ट और पानी में बहकर आए लकड़ी व पत्थर पड़े हैं। पार्क की सुंदरता को ग्रहण लग गया है, पूरा क्षेत्र सिल्ट से भर गया, जिसमें फूल-पौधों की क्यारियां और कृत्रिम नजारे सभी दब गए। यहां तक कि नेचर पार्क में बनाई गई झील तक दलदल में तबदील हो गई है।
अब इससे उबरने में कितना समय लगेगा यह तो भविष्य ही तय करेगा, लेकिन कुदरत के इस भयानक रूप ने इतना तो संदेश दिया है कि प्रकृति से छेड़छाड़ करने से नुकसान होना निश्चित है। जिला मुख्यालय से मात्र छह किलोमीटर दूर मनाली की तरफ कुल्लू घाटी को निहारने आए पर्यटकों के लिए कुल्लू की संस्कृति की झलक दिखाता नेचर पार्क वन विभाग और जिला प्रशासन ने बहुत ही सुंदर बनाया था। यह पार्क स्थानीय लोगों के साथ-साथ पर्यटकों के लिए एक ऐसी जगह है, जिसे निहारने के लिए लोगों का तांता लगा रहता था। लेकिन बाढ़ ने पार्क को लकड़ियों, पत्थरों और रेत के ढेर में तबदील कर दिया है। बच्चों के खेलने के लिए लगाए गए झूले, बाढ़ की मार से गिर गए हैं। कुल्लू घाटी की संस्कृति को दर्शाते स्टेच्यू, ब्यास के उग्र वेग के आगे जमींदोज हो गए हैं। हजारों रुपये की लागत से लगाए गए फूल-पौधे रेत में दब गए हैं। नेचर पार्क की अधिकतर जमीन में दो से पांच फीट तक रेत भर गई है। हालांकि वन विभाग के अधिकारी और कर्मचारियों ने इन पौधों को बचाने के लिए मौसम खुलते ही प्रयत्न शुरू कर दिया है।
------ बाढ़ में नेचर पार्क बबेली को करीब 20 लाख रुपये का नुकसान आंका गया है। पार्क की बहाली को लेकर कार्य किया जा रहा है, जल्द ही पार्क में लोगों की आवाजाही शुरू कर दी जाएगी।
-नीरज चड्ढा, वन मंडल अधिकारी, कुल्लू।