एक सप्ताह के भीतर बहाल होगा मनाली-लेह मार्ग, सेना के वाहनों को मिलेगी प्राथमिकता
दुनिया के सबसे रोमांचक सफर का आनंद लेने को तैयार हो जाएं। हालांकि देश कोरोना महामारी से जूझ रहा है
जसवंत ठाकुर, मनाली। दुनिया के सबसे रोमांचक सफर का आनंद लेने को तैयार हो जाएं। हालांकि देश कोरोना महामारी से जूझ रहा है लेकिन जैसे ही हालात सामान्य होंगे तो पर्यटक लॉकडाउन हटते ही इस मार्ग के सुहाने सफर का आनंद उठा पाएंगे। बीआरओ कड़ी मशक्कत के बाद मनाली लेह मार्ग की बहाली के नजदीक पहुंच गया है। बीआरओ की लेह स्थित हिमांक परियोजना ने सरचू तक सड़क को पहले ही बहाल कर लिया था जबकि मनाली स्थित दीपक परियोजना के जवान दोनों तरफ से बारालाचा दर्रे की बहाली में जुटे है।
दोनों छोर के मिलते ही दुनिया का सबसे लंबा, रोमांचक, सबसे ऊंचा और जोखिम भरा 1100 किमी लंबा यह सड़क मार्ग बहाल हो जाएगा। बीआरओ कमांडर कर्नल उमा शंकर ने बताया इस बार उन्होंने बारालाचा दर्रे पर दोनों ओर से चढ़ाई की है। इस बार अधिकतर समय मौसम खराब रहा है लेकिन बीआरओ को उम्मीद है कि यह मार्ग एक डेढ़ सप्ताह के भीतर बहाल कर लिया जाएगा।
पांच बर्फीले दर्रों को निहारने का मिलता है मौका
दिल्ली से लेह के सफर में सैलानियो को प्रकृति को नजदीकी से निहारने का मौका मिलेगा। सैलानी चार अहम पर्वतीय रास्तों से गुजरेंगे। मनाली पहुंचते ही सबसे पहले दुनिया के सैलानियो की पहली पसंद रहने वाले 13050 फीट ऊंचे रोहतांग दर्रे के दीदार करेंगे। लाहुल पहुंचते ही 16000 फीट ऊंचे बारालाचा ला दर्रे के दीदार कर सेलानी खासे उत्साहित होंगे। इस दर्रे को पार करते ही सैलानी जम्मू कश्मीर की वादियों में प्रवेश कर जाएंगे। जम्मू कश्मीर का आसमान छूने वाला 15580 फुट ऊंचा नकीला और 16500 फीट ऊंचा लाचुंगला दर्रा सभी को रोमांचित करेगा। लेह की वादियों में प्रवेश करने के बाद दुनिया का सबसे खूबसूरत व आसमान से ऊंचा दिखने वाला साढे 17 हजार फीट तांगलांग ला दर्रा अलग सा अनुभव देगा। इन सभी दर्रो का अनुभव इस मार्ग में सैलानियों को मिलेगा। तांगलांग ला व लाचुंग ला में ऊंचाई की वजह से सैलानियो को स्वास्थ में कुछ परेशानी महसूस हो सकती है। ह्रदय की बीमारी से पीड़ित व्यक्ति इस मार्ग पर जोखिम न उठाए।
मार्ग बहाल होते ही आर-पार होंगे सेना के वाहन
बीआरओ द्वारा बारालाचा दर्रे को बहाल करते ही दिल्ली मनाली होते हेबलेह से जुड़ जाएगी। इस मार्ग के खुल जाने से चीन व पाकिस्तान की सीमा पर बैठे प्रहरियों तक पहुंचना आसान हो जाएगा। मार्ग खुलने से सेना के जवानों को भी राहत मिलेगी। पर्यटकों की आवाजाही फिलहाल होगी नही लेकिन दर्रा बहाल होते ही सेना के वाहन आर पार होंगे। यह मार्ग सामरिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। जम्मू कश्मीर रास्ते की तुलना में यह मार्ग सुरक्षित है। इसी बजह से भारतीय सेना इस सड़क को अधिक तरजीह देती है।