गाय के गोबर से बना रहे धूप, दीपक व गमले
संवाद सहयोगी कुल्लू प्रधानमंत्री की वोकल फार लोकल मुहिम से प्रभावित होकर जिला कुल्लू में
संवाद सहयोगी, कुल्लू : प्रधानमंत्री की 'वोकल फार लोकल' मुहिम से प्रभावित होकर जिला कुल्लू में भी नया प्रयोग किया है। दीपावली में लोग चाइनीज सामान का उपयोग न करें, इसके लिए खंड विकास कार्यालय कुल्लू में गाय के गोबर से दीप, धूप और गमला बनाने का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। अगर यह प्रयोग सफल रहा तो ऐसा कर जिला के स्वयं सहायता समूह की महिलाएं आत्मनिर्भर बनने के साथ अन्य को भी आत्मनिर्भर बनाएंगी। इसका लाभ यह है कि इनके टूटने पर खेतों में खाद के रूप में भी प्रयोग किया जा सकता है।
कुल्लू में प्रशिक्षण दे रहे सुनील शर्मा ने बताया कि गोबर से महिलाएं आकर्षक गमले, दीपक, धूप बना रही हैं। यह प्रशिक्षण चार दिन तक चलेगा। इसमें जिला कुल्लू के विभिन्न उपमंडलों से आठ स्वयं सहायता समूह से करीब 20 महिलाएं प्रशिक्षण प्राप्त कर रही हैं।
इसके अलावा दीपक भी इसी गोबर से तैयार किए जा रहे हैं। इसकी खास बात यह है कि यह सामग्री मिट्टी की सामग्री की अपेक्षा बहुत हल्की और टिकाऊ भी साबित होगी।
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देसी गाय के गोबर से खोजा नया तरीका
महिला शकुंतला, टाशु, बेगमा का कहना है कि गोबर से अब उपले नहीं स्वरोजगार का माध्यम खोजा है। गोबर से दीपक, गमले सहित अन्य वस्तुएं भी बनने लगी हैं। हमने करीब पांच-पांच दीपक और 10-10 धूप बनाने का प्रयास किया।
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ऐसे तैयार होती है सामग्री
सुनील शर्मा ने बताया कि दीपक बनाने के लिए 70 प्रतिशत देसी गाय का गोबर, मुल्तानी मिट्टी, चावल का आटा प्रयोग में लाया जाता है। इसके बाद दीपक के आकार के लिए एक डाय में डाल दिया जाता है। सूख जाने के बाद दीपक तैयार हो जाता है। इसके अतिरिक्त धूप बनाने के लिए कई जड़ी-बूटियां और 70 प्रतिशत देसी गाय के गोबर से धूप भी तैयार किया गया है।
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गाय के गोबर से धूप, दीपक, गमला बनाने से प्रमुख लाभ यह है कि यह टिकाऊ है। साथ ही पर्यावरण के अनुकूल भी। प्लास्टिक-पॉलीथीन के गमले के स्थान पर इनका उपयोग किया जा सकता है। क्षतिग्रस्त गमले की खाद भी बन सकती है। दीपावली के लिए दीपक भी तैयार किए जा सकते हैं।
-डा. जयवंती ठाकुर, खंड विकास अधिकारी कुल्लू