'नयन भरी तलैइया' नाटक का मंचन
संवाद सहयोगी, कुल्लू : नाट्योत्सव 'कुल्लू रंग मेला' की सातवीं संध्या में संस्था के कलाकारों ने न
संवाद सहयोगी, कुल्लू : नाट्योत्सव 'कुल्लू रंग मेला' की सातवीं संध्या में संस्था के कलाकारों ने नाटक 'नयन भरी तलैईया' का मंचन किया। नूर जहीर द्वारा लिखित नाटक केहर ¨सह ठाकुर ने निर्देशित किया है।
नाटक नयन भरी तलैईया सदियों से अंधविश्वास में जकड़ी पहाड़ी जनता को प्रतिबिंबित करता है जो राजा के कहने पर एक अबोध गरीब लड़की सुखनी को देवी बनाकर राज्य में तीन साल से चले आ रहे सूखे को खत्म करने के लिए कुएं में धकेल देते हैं। संयोगवश पानी भी निकल आता है, लेकिन सुखनी के कुएं में गिरकर बलि देने से नहीं, बल्कि उसके बचपन के साथी बिंधना के प्रयास से, जो यह पता चलते ही कि सुखनी को पानी के लिए देवी बनाकर बलि दिया जा रहा है तो रात दिन एक करके कहीं ऊंचे पहाड़ पर जहां पानी का सोता था जमीन के नीचे गहराई तक खोदकर पानी की बदली दिशा को खोज निकलता है और उसका रूख गांव की दिशा में करता है। जब तक वह पानी निकल आया, पानी निकल आया कहता हुआ कुएं पर पहुंचता है जहां सुखनी को देवी मां के नाम पर बलि चढ़ा रहे हैं, तब तक सुखनी को कुएं में धकेला जा चुका है। आम लोग यह समझते हैं कि सुखनी को कुएं में धकेलते ही पानी आ गया। लेकिन जब ¨बधना पानी को रोक कर बैठता है और कहता है कि तुम लोग हत्यारे हो एक अबोध लड़की के, और मैं तुम्हें पानी नहीं दूंगा। वह आम लोगों को राजा द्वारा की गई साजिश के बारे में बताता है तो सभी लोग राजा के खिलाफ हो जाते हैं। नाटक में राजा केहर ¨सह ठाकुर, रानी आरती ठाकुर, सुखनी कविता, सन्यासी रेवत राम विक्की, ¨बधना दीन दयाल, खुमता चाचा तथा रमनी चाची की भूमिकाएं जीवानन्द तथा आशा ने निभाई। इसके अलावा श्याम, ओमप्रकाश, विपुल, निखिल, अनुराग, सुमित ममजा तथा अवंतिका आदि कलाकारों ने भूमिकाएं निभाई।