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देवी-देवताओं के रथ के बिना कैसे होगी रथयात्रा

संवाद सहयोगी कुल्लू अंतरराष्ट्रीय कुल्लू दशहरा उत्सव में इस बार सात देवी-देवताओं के साथ

By JagranEdited By: Published: Thu, 15 Oct 2020 05:02 PM (IST)Updated: Thu, 15 Oct 2020 05:02 PM (IST)
देवी-देवताओं के रथ के बिना कैसे होगी रथयात्रा
देवी-देवताओं के रथ के बिना कैसे होगी रथयात्रा

संवाद सहयोगी, कुल्लू : अंतरराष्ट्रीय कुल्लू दशहरा उत्सव में इस बार सात देवी-देवताओं के साथ मनाए जाने पर सहमति बनी है। उनके भी सिर्फ निशान लाने को ही कहा गया है। अब सवाल यह उठ रहा है कि देवी-देवताओं के रथ के बिना दशहरा उत्सव की परंपराओं का निर्वहन कैसे किया जाएगा। देवरथ नहीं होंगे तो भगवान रघुनाथ की रथयात्रा कैसे निकलेगी। कुल्लू दशहरा उत्सव के इतिहास में यह पहला मौका होगा जब बिना देवी-देवताओं के आयोजन होगा।

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हालांकि देवी-देवताओं के कारदारों ने जिलाधीश से मुलाकात कर रथ लाने की बात कही है। अगर इन्हें अनुमति दी जाती है तो फिर अन्य देवी-देवता भी आने की हामी भर रहे हैं। ऐसे में दशहरा उत्सव में कई देवी-देवता बिना किसी नजराने के आने को तैयार हैं। वहीं, कारदारों का कहना है कि देवता रथ के साथ ही आएंगे। आज तक कभी घंटी और धड़च के दशहरा उत्सव में कोई भी देवता नहीं आए हैं। 1972 में भी देवी-देवताओं के रथ आए थे। उसी तर्ज पर इस वर्ष भी देवताओं के रथ आएंगे। इसको लेकर सभी देवताओं के कारदार जल्द ही रणनीति तैयार करेंगे। कोविड-19 के नियमों का पालन किया जाएगा और देव परंपराओं का भी निर्वहन किया जाएगा।

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सात देवी-देवताओं के आने पर बनी है सहमति

दशहरा उत्सव में राज परिवार की दादी माता हिडिबा, बिजली महादेव, पीज के जमदग्नि ऋषि, खोलन के आदि ब्रह्मा, रैला की लक्ष्मी नारायण, कुलदेवी माता त्रिपुरा सुदंरी नग्गर, ढालपुर के देवता वीरनाथ गौहरी आएंगे। इन देवी-देवताओं के भी निशान ही लेकर आने को कहा गया है।

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बंजार, आनी, निरमंड के एक-दो देवी-देवताओं को बुलाने की मांग

बंजार, आनी, निरमंड के देवी-देवताओं के कारदरों ने क्षेत्र से एक-दो देवताओं को बुलाने की मांग की है। ये देवी-देवता अपने खर्च पर ही आ सकते हैं, लेकिन अभी बैठक होना बाकी है।

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बालू नाग और श्रृंगा ऋषि पर सबकी नजर

दशहरा उत्सव के दौरान भगवान रघुनाथ की रथयात्रा में देवता बालू नाग व श्रृंगा ऋषि दायीं ओर चलने के लिए 2001 से विवाद चल रहा है। जो मामला कोर्ट तक पहुंचा है। ऐसे में रथयात्रा के दौरान दोनों देवताओं को नजर बंद किया जाता है। हर वर्ष बिना निमंत्रण के दोनों देवता दशहरा उत्सव में आते हैं। इस वर्ष भी इन पर नजर रहेगी।


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