राष्ट्रस्तर तक पहुंची रंजना के चौके-छक्के की गूंज
दविद्र ठाकुर कुल्लू सीमित साधन और खेल मैदान तक की सुविधा न होने के बावजूद कुल्लू जिले
दविद्र ठाकुर, कुल्लू
सीमित साधन और खेल मैदान तक की सुविधा न होने के बावजूद कुल्लू जिले के बंजार उपमंडल की रंचना ठाकुर के चौके-छक्कों की गूंज राष्ट्रस्तर तक सुनाई दे रही है। चकुरठा पंचायत के फगौला गांव में ज्ञान ठाकुर व माता नुरमा देवी के घर जन्मी रंजना ठाकुर पर क्रिकेट का जुनून इतना हावी था कि गांव में दुर्गम पहाड़ी पर ही पिच तैयार की अभ्यास शुरू कर दिया। आखिरकार 2017 में वह घड़ी आ गई जब कुल्लू में रंजना को खेलने का मौका मिला। यहीं से करियर की शुरुआत हुई। सोलन में राज्यस्तरीय प्रतियोगिता के अलावा रॉयल चैलेंज क्रिकेट प्रतियोगिता में भी खेल चुकी है। रंजना 2019 में आंध्र प्रदेश के विजयबाड़ा में अंडर-23 राष्ट्रीय क्रिकेट प्रतियोगिता में भी जौहर दिखा चुकी है। वह पढ़ाई के साथ-साथ घर का काम करती थी, लेकिन अभ्यास नहीं छोड़ा।
वह हरियाणा के रोहतक में आयोजित राष्ट्रस्तरीय प्रतियोगिता में भी भाग ले चुकी है। क्रिकेट के साथ-साथ रंजना अच्छी एथलीट भी है। वह राज्यस्तरीय क्रॉस कंट्री में रनरअप रही है। उन्होंने 10,000 मीटर दौड़ 51 मिनट में पूरी की थी। उन्होंने इसी साल ऊना में हुई वनडे प्रतियोगिता में प्रतिभा का लोहा मनवाया और रांची (मध्य प्रदेश) में होने वाली राष्ट्रस्तरीय प्रतियोगिता के लिए चयन हुआ। इसके बाद लॉकडाउन शुरू हो गया। अनलॉक के बाद रंजना अब हिमाचल प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन (एचपीसीए) के धर्मशाला स्टेडियम में अभ्यास कर रही हैं।
रंजना के पिता शिक्षक व माता गृहिणी है। उसकी प्रारंभिक शिक्षा राजकीय प्राथमिक पाठशाला फगवाना में हुई। 10वीं की पढ़ाई कोटला स्कूल व जमा दो बालीचौकी से की। स्नातक डिग्री कॉलेज कुल्लू से की है। रंजना को राज्यस्तरीय ठाकुर वेदराम मेमोरियल पुरस्कार से सम्मानित भी किया जा चुका है। रजना ने बताया कि अगर वह कुल्लू में ट्रायल में सफल न होती तो आज इस मुकाम पर न पहुंच पाती। उन्होंने अपनी सफलता का श्रेय कुल्लू में कोच कमल नैन, कौनिक व एचपीसीए के कोच पवन, दीना पांडे को दिया।