मजदूर विरोधी नीतियों के खिलाफ सड़क पर उतर श्रमिक
केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के आठ व नौ जनवरी को दो दिवसीय अखिल भारतीय ह
संवाद सहयोगी, कुल्लू : केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के आठ व नौ जनवरी को दो दिवसीय अखिल भारतीय हड़ताल के आह्वान पर कुल्लू में भी सीटू के नेतृत्व में विभिन्न संगठनों ने कुल्लू में प्रदर्शन किया। मजदूरों ने श्रम कानूनों में बदलाव के लिए आवाज बुलंद की और डीसी कार्यालय के बाहर केंद्र सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। सीटू के बैनर तले विभिन्न संगठनों ने कुल्लू के नेहरू पार्क से लेकर उपायुक्त कार्यालय तक रैली भी निकाली। इस दौरान उपायुक्त कुल्लू युनूस के माध्यम से केंद्र सरकार को ज्ञापन भी प्रेषित किया।
सीटू के जिला महासचिव राजेश ठाकुर ने कहा कि केंद्र में मोदी सरकार के लगभग साढ़े चार साल के कार्यकाल में लगातार जन व मजदूर विरोधी नीतियों को सख्ती से लागू किया जा रहा है। आंगनबाड़ी, मिड डे मील सहित अन्य योजनाओं को सरकार ठेकेदारी में देने की तैयारी कर रही है। केंद्र सरकार महंगाई को कम करने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठा रही है। मोदी सरकार की गलत नीतियों से महगाई चरम सीमा पर है और मोदी सरकार पूंजीपतियों को फायदा पहुंचाने के लिए श्रम कानूनों को उनके पक्ष में करने का कार्य कर रही है। सीटू के जिला उपाध्यक्ष सरचंद ठाकुर, मिड डे मील यूनियन के राज्य अध्यक्ष कांता महंत, निर्माण मजदूर यूनियन सीटू के जिला प्रधान रामचंद व सचिव चमन ठाकुर, इंटक के जिला प्रधान खीमी राम, महासचिव संजय शर्मा, खेतीहर किसान यूनियन के प्रधान चंद्र वल्लभ नेगी भी मौजूद। इस प्रदर्शन का हिमाचल किसान सभा ने भी समर्थन किया।
इन मांगों के लिए आवाज उठा रहे
मजदूरों का न्यूनतम वेतन 18000 रुपये मासिक हो, श्रम कानूनों में बदलाव न हो, ठेका प्रथा समाप्त हो, आंगनबाड़ी, मिड डे मील व मनरेगा के बजट में बढ़ोतरी, सभी योजना वर्कर्स को सरकारी कर्मचारी घोषित किया जाए, मजदूरों को पेंशन व सामाजिक सुरक्षा प्रदान हो। बैंक, बीएसएनएल, बीमा, रक्षा, रेलवे, कोयला, बिजली, परिवहन व अन्य सरकारी प्रतिष्ठानों में विदेशी विनिवेश व निजीकरण बंद हो। यूनियनों का पंजीकरण 45 दिनों के भीतर किया जाए। मनरेगा में 120 दिनों का रोजगार व राज्य का न्यूनतम वेतन लागू किया जाए।