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एक दूसरे पर फब्तियां कसने और मशाल जलाकर भूतों को भगाने का अनोखा उत्सव

कवायली लोगों ने कई तीज त्योहारों और उत्सवों को जन्म दिया है। इन्हीं में से एक है यह हालड़ा उत्सव, इस दिन आग का बड़ा अलाव बनाकर लोग छांग और हरक की मस्ती में झूमते-नाचते हैं।

By BabitaEdited By: Published: Mon, 21 Jan 2019 12:53 PM (IST)Updated: Mon, 21 Jan 2019 12:53 PM (IST)
एक दूसरे पर फब्तियां कसने और मशाल जलाकर भूतों को भगाने का अनोखा उत्सव
एक दूसरे पर फब्तियां कसने और मशाल जलाकर भूतों को भगाने का अनोखा उत्सव

मनाली, जसवंत ठाकुर। देवी देवताओं और पुण्य आत्माओं को समर्पित हालड़ा उत्सव इस वर्ष भी लाहुल के तिनन, रांगलो, गाहर घाटी में, तोद घाटी तथा पटन घाटी के अलावा मनाली में धार्मिक श्रद्धा व हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। पूरी दुनिया से अलग थलग पड़े शीत मरुस्थलीय कवायली भूमि लाहुल में आजकल केवल हेलिकाप्टर से ही पहुंचा जा सकता है। ऐसी विषम हालात से निजात पाने के लिए यहां के कवायली लोगों ने कई तीज त्योहारों और उत्सवों को जन्म दिया है। इन्हीं में से एक है यह हालड़ा उत्सव। यहां की भौगोलिक परिस्थिति और प्रतिकूल जलवायु के कारण गाहर, तिनन, तोद तथा पटन की घाटियों में अलग-अलग त्योहारों और उत्सवों को अपने-अपने ढंग से मनाया जा रहा है।

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हर घाटी में अलग-अलग मनाया जा रहा हालड़ा उत्सव

लाहुल की सभी घाटियों में यह उत्सव अलग-अलग दिन मनाया गया। तिनन, तौद तथा गाहर घाटी में लामा ग्रथों के द्वारा गणित लगाकर इस शुभ पर्व की तिथि निर्धारित की जबकि पटन घाटी में चंद्रमा के घटने व बढऩे के पक्ष को तरजीह दी गई। हालड़ा के दिन समस्त घाटियों के गांव वासियों ने निर्धारित समय पर कुलज देवी देवताओं के पूजा-पाठ के पश्चात देवदार या जूनिपर की लकड़ी को तकरीबन पांच फुट लंबे टुकड़ों में काट आपस में बांध कर हालड़ा का रुप दिया। तिनन गाहर, रांगलो और तोद घाटी के लोगों की प्रह्यजलित हालड़ा को घरों से बाहर निकालने की विधि पटन घाटी से थोड़ी भिन्न है। इन क्षेत्रों के लोग प्रह्यजलित हालड़ा को घर से बाहर अर्ध रात्रि में केबल एक बार निकाला गया। जबकि पटन में तीन प्रकार के हालड़ा सद् हालड़ा (देवी-देवताओं को समर्पित), पितर कोच हालड़ा (पुण्य आत्माओं को समर्पित), और नम हालड़ा को गांव के चौपाल में निकाला जा रहा है। जहां पर आग का बड़ा अलाव बनाकर और इसके इर्द-गिर्द लोगों ने छांग और हरक की मस्ती में झूमते-नाचते व एक दूसरे पर फब्तियां कसते हुए विसर्जन किया जाएगा।

लामहोइ नामक कार्यक्रम भी है रोचक

रांगलो, तिनन तथा तोद घाटी में हालड़े की अगली सुबह स्थानीय लोग इन दिनों को अशुभ मानते हुए एक दो दिन के लिए घरों से बाहर नहीं निकले। हालड़ा के कुछ दिनों बाद (फोलदा) आटे द्वारा बनी लिंग, लामहोई नामक कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा। इसमें आटे से बनी लिंग व आईबैक्स बनाई जाती है और पुजारी द्वारा तीर-कमान की सहायता से आईबैक्स व लिंग के प्रत्येक अंग पर प्रहार किया जाएगा। मान्यता है कि जिस व्यक्ति का निशाना लिंग पर लगता है उसके घर पुत्र योग की प्राप्ति होती है। इस आयोजन के बाद पूजा-पाठ कर स्थानीय देवी-देवताओं की पूजा-पाठ कर पारंपरिक वाद्य यंत्रों व रणसिंह आदि की आवाज से आकाश गुंजायमान हो जाएगा।

मनाली में आज मना रहे लाहुली  हालड़ा उत्सव

 लाहुल जन कल्याण समिति आज शाम को मनाली में हालड़ा उत्सव धूमधाम से मनाने जा रही है। लाहुल समुदाय के लोग गोम्पा परिसर में एकत्रित होकर पर्व को मनाएंगे और लकड़ी से तैयार मशालों को जलाकर भूतों को भगाएंगे। वन परिवहन एवं खेल मंत्री गोविन्द ठाकुर मुख्य अतिथि होंगे। कला संस्कृति ओर अनूठी परम्परा को बचाए रखने के लिए यह सराहनीय कार्य है। लाहुल जन कल्याण समिति के अध्यक्ष प्रेम चन्द ने बताया कि आज बौद्ध धर्म गुरुओं द्वारा विधिवत पूजा अर्चना कर मशाल जलाकर विधिवत हालड़ा उत्सव मनाया जाएगा।


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