172 रूटों पर ही दौड़ रही बसें
कोरोना के साथ जिंदगी ने फिर से रफ्तार पकड़ ली है लेकिन हिमाचल पथ पि
कमलेश वर्मा, कुल्लू
कोरोना के साथ जिंदगी ने फिर से रफ्तार पकड़ ली है, लेकिन हिमाचल पथ परिवहन निगम (एचआरटीसी) कुल्लू डिपो की 92 बसों के पहिए अभी भी थमे हुए हैं। जिला के 322 रूटों में से केवल 172 रूटों पर ही बसें चल रही हैं। सवारियां न होने के कारण 150 रूट अभी भी बंद हैं। इस कारण 92 बसें निगम कार्यालय या साथ लगते राष्ट्रीय राजमार्ग पर ही खड़ी हैं। एक माह में 14 से 15 लाख की कमाई करने वाले कुल्लू डिपो की आय अब कोरोना काल में सिमटकर दो से ढाई लाख तक रह गई है। कोरोना के कारण लोग अब भी बसों में सफर करने से कतरा रहे हैं। डिपो की 92 बसें जिनमें 10 लग्जरी भी शामिल हैं, पिछले नौ माह से जंग खा रही हैं। हालांकि निगम के अधिकारी व कर्मचारी इन बसों की समय-समय पर जांच करते हैं और स्टार्ट कर इंजन आदि जांचते हैं, लेकिन बसें खड़ी होने से निगम की आय प्रभावित हुई है। लिहाजा, कोरोना के कारण जहां हर वर्ग को नुकसान पहुंचा है वहीं, एचआरटीसी के कुल्लू डिपो को भी बैकफुट पर लाकर खड़ा कर दिया है। अभी तक कुल्लू डिपो को करोड़ों रुपये का नुकसान हो चुका है।
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लंबे रूट पर भी सवारियां नहीं
लंबे रूट पर भी सवारियां नहीं मिल रही हैं। 27 नवंबर से दिल्ली के 10 रूट बंद हैं। लग्जरी और डीलक्स बसें नहीं चलने से भी आय प्रभावित हो रही है। बसों में 50 फीसद सवारियां ही बैठाने के आदेशों के बाद हालात और बिगड़ गए हैं। चंडीगढ़ के चार में से दो, हरिद्वार के दो में से एक, जम्मू रूट पर भी पठानकोट तक, जालंधर रूट पर दो में से एक ही रूट पर सेवाएं दी जा रही हैं जबकि कुल्लू-पठानकोट रूट भी बंद हैं। अन्य भी लंबे रूट सभी बंद है।
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322 रूट में से 172 पर ही बसें चल रही हैं बाकि रूट बंद हैं। लंबे रूट पर भी सवारियां कम हैं, लोगों की मांग के हिसाब से बसों की संख्या बढ़ाई जा रही हैं।
-डीके नारंग, आरएम कुल्लू