बिना पंजीकरण नहीं नाप सकेंगे हामटा की पहाड़ियां
दविद्र ठाकुर कुल्लू पर्यटनस्थल हामटा पास में ट्रैकिग पर जाने वालों पंजीकरण के लिए बैरिय
दविद्र ठाकुर, कुल्लू
पर्यटनस्थल हामटा पास में ट्रैकिग पर जाने वालों पंजीकरण के लिए बैरियर स्थापित किया जाएगा। यहां ट्रैकिग पर जाने वालों की जाएगी। इसमें अनुमति, उपकरण, आधे अधूरे सामान के साथ जाने वालों को यहीं पर रोका जाएगा। दशकों से कुल्लू-मनाली व लाहुल की पहाडि़यों में सैकड़ों देशी-विदेशी ट्रैकर जान से हाथ धो बैठे हैं। कई ट्रैकर इन पहाडों में ऐसे समाए की आज तक उनके निशान तक नहीं मिल पाए हैं।
पहाड़ों की अधूरी जानकारी इन ट्रैकरों पर भारी पड जाती है। जिले में कई ट्रैवल एजेंसियां सैलानियों को ट्रैकिग का अनुभव करवाती है। कुछ ट्रैकर अधूरी जानकारी के साथ पहाड़ पर कदमताल तो कर देते हैं, लेकिन वापसी की राह नहीं मिल पाती है। इसी को मद्देनजर पर्यटन विभाग ने बैरियर लगाने की योजना तैयार की है। अगर हामटा पास में बैरियर स्थापित होगा तो उसके बाद जिला के अन्य स्थानों पर भी बैरियर स्थापित किए जाएंगे। हालांकि कुछ सालों पूर्व प्रशासन की ओर से एसडीएम कुल्लू रह चुके रोहित राठौर ने अपने दोस्तों के साथ ट्रैकरों के लापता न होने के लिए एक साइट तैयार की थी। उनके तबादला होने के बाद यह साइट बंद हो गई। अब तक लापता हुए टै्रकर
11 मार्च 2016 को कुल्लू के चंद्रखणी दर्रे में करीब 70 घंटे से लापता संत लोंगोवाल इंस्टीट्यूट आफ इंजीनियरिग एंड टेक्नोलाजी संगरूर के आठ विद्यार्थियों को हेलीकाप्टर के जरिए रेस्क्यू किया गया था। समुद्रतल से करीब 12 हजार फीट ऊंचे चंद्रखणी दर्रे पर फंसे इंजीनियरिग विद्यार्थी भी मौत को मात देकर निकले थे। 17 अप्रैल 2015 को बशलेऊ जोत में भी ट्रैकर फंसे थे, जिन्हें सुरक्षित निकाला गया था। कुल्लू जिला में अब तक करीब छह ट्रैकरों की मौत हो चुकी है। कुछ समय पहले मणिकर्ण घाटी में दो पर्यटक गुम हुए हैं। इसमें से एक पर्यटक का शव दो सप्ताह के बाद मिला, जबकि दूसरा पर्यटक अभी भी लापता है। ये हैं जिले के ट्रैक रूट
पिन-पार्वती ट्रैक रूट खीरगंगा, चंद्रखणी व रशोल, हामटा पास, पांडु रोपा, अर्जुन गुफा, बिजली महादेव, चंद्रताल से बारालाचा, दारचा से पदम, मयाड़ के कांगला ग्लेशियर से कारगिल-जंसकर, मनाली-हामटा से छतड़ू, मनाली-जगतसुख से गोरुपास-पिन पास-किन्नौर, मनाली से बड़ा भंगाल, पिन वैली से स्पीति व मनाली से हनुमान टिब्बा, मनाली से बारालाचा ट्रैक रूट हैं। ग्रेट हिमालय नेशनल पार्क में भी ट्रैक रूट हैं। ट्रैकिग रूट को देखते हुए हामटा पास में बैरियर स्थापित किया जाएगा। इसके बाद यहां से हर आने जाने वालों की जांच कर उनका पंजीकरण किया जाएगा। इससे ट्रैकरों के गुम होने का सिलसिला थम जाएगा।
-सुनैना शर्मा, जिला पर्यटन अधिकारी कुल्लू।