Move to Jagran APP

World Environment Day 2019: एक गांव ऐसा भी जहां पर्यावरण की रक्षा के लिए लोगों ने खुद बनाये नियम

World Environment Day 2019 लाहुल-स्पीति के मूलिंग गांव में पेड़ काटने पर पूरी तरह से प्रतिबंध है अगर कोई ऐसा करेगा तो उसे जुर्माना देना होगा।

By Babita kashyapEdited By: Published: Wed, 05 Jun 2019 08:40 AM (IST)Updated: Wed, 05 Jun 2019 08:40 AM (IST)
World Environment Day 2019: एक गांव ऐसा भी जहां पर्यावरण की रक्षा के लिए लोगों ने खुद बनाये नियम
World Environment Day 2019: एक गांव ऐसा भी जहां पर्यावरण की रक्षा के लिए लोगों ने खुद बनाये नियम

कुल्लू, कमलेश वर्मा।  World Environment Day 2019 जनजातीय जिला लाहुल-स्पीति के मूलिंग गांव के लोगों ने पर्यावरण की रक्षा के लिए खुद नियम तय किए हैं और औरों के लिए मिसाल बने हैं। गांववालों ने जंगल में पेड़ काटने पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा रखा है। यदि कोई व्यक्ति पेड़ काटता है तो पांच से दस हजार रुपये का जुर्माना रखा है। हालांकि गांववासियों के इस निर्णय के बाद जंगल से एक भी पेड़ नहीं कटा है। इसी का नतीजा है आज गांव के आसपास का जंगल पूरी तरह से हरा भरा है।

loksabha election banner

ग्रामीणों ने रसोई सहित अन्य उपयोग के लिए लाई जाने वाली लकड़ी के लिए अलग से पेड़ लगाए हैं। शीत मरुस्थल के मूलिंग गांव के जंगल में पेड़ कटान पर पूरी तरह से प्रतिबंध है। इसके लिए ग्रामीणों को वन विभाग या कोई संस्था प्रेरित नहीं कर रही, बल्कि लोगों ने स्वयं पर्यावरण को सहेजने की बीड़ा उठाया है। परिणामस्वरूप क्षेत्र में वन क्षेत्र बढ़ा है। 

 

यह जंगल कायल और भोजपत्र के पेड़ों से भरा है। मूलिंग पंचायत के लोग जंगली जानवरों का शिकार भी नहीं करने देते। पेड़ काटने और जंगली जानवरों का शिकार करने वालों को सजा के तौर पर जुर्माना भरना पड़ता

है। पंचायत उपप्रधान दिनेश भानू ने बताया कि महिला मंडल, युवक मंडल, पंचायत के प्रतिनिधि व जनता ने कुछ वर्ष पूर्व निर्णय लिया है कि वनों को काटने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई अमल में लाई जाएगी। 

मूलिंग में लोगों की पहल के बाद पेड़ कटान पर पूरी तरह से प्रतिबंध है। लोगों के प्रयास से ही यहां पर जंगल का दायरा बढ़ रहा है। वन विभाग भी यहां पर समय-समय पर पौधरोपण करता है। ऐसे ही प्रयास अन्य क्षेत्रों के लोगों को भी करने चाहिए।

-मस्तराम, रेंज ऑफिसर पट्टन, लाहुल-स्पीति

मुझे गर्व कि मैं इस गांव से हूं : किशन लाल

प्रसिद्ध पर्यावरणविद एवं ग्रीनमैन के नाम से मशहूर किशन लाल व उनकी बेटी कल्पना भी मूलिंग गांव से संबंध रखते हैं। किशन का कहना है कि उन्हें गर्व है कि वह ऐसे गांव से संबंध रखते हैं जहां के लोग पर्यावरण, वन और जंगली जानवरों को बचाने में अहम भूमिका निभा रहे हैं।

स्वच्छता के प्रति भी प्रतिबद्ध

मूलिंगवासी स्वच्छता के लिए भी प्रतिबद्ध हैं। स्थानीय लोग तो अपने क्षेत्र में कूड़ा-कर्कट फैलाते ही नहीं, यदि कोई बाहरी व्यक्ति या पर्यटक ऐसा करते हैं तो उन्हें ऐसा करने से रोकते भी हैं। साथ ही साफ-सफाई करने का वादा भी लेते हैं। इस पंचायत को 10 वर्ष पहले प्रदेश सरकार की तरफ से स्वच्छता के क्षेत्र में प्रथम पुरस्कार भी मिल चुका है।

 

वन विभाग भी दे रहा सहयोग

ग्रामीणों की पहल में वन विभाग भी पूरा सहयोग है। एक साल में जंगल में 1000 पेड़ देवदार और 3400 विल्लो के पेड़ लगाए गए। विभाग ने कुछ पेड़ संबंधित वन क्षेत्र से बाहर लगाए हैं, जिसकी लकड़ी का प्रयोग लोग घर बनाने या जलाने के तौर पर करते हैं।

यह खास है इस गांव में

  • मूलिंगवासियों ने पेड़ कटान पर 15 वर्ष पहले जुर्माना लगाने की शुरुआत की है।
  • जुर्माने के डर से आज तक किसी व्यक्ति ने कोई पेड़ नहीं काटा है।
  • गांव में कोई बाहर का व्यक्ति आता है तो उसकी हर गतिविधि पर गांववासियों की नजर रहती है। शिकारियों, पेड़  काटने और जड़ी-बूटियों का दोहन करने वालों पर महिला मंडल, युवक मंडल की नजर रहती है।
  •  ग्रामीणों ने जंगल में बड़ी संख्या में पौधे लगाए हैं। सभी मिलकर इनकी देखरेख करते हैं।
  • ग्रामीणों ने अपनी भूमि पर बेली के पेड़ लगाए हैं। इनका हरा घास पशुओं के चारे के लिए इस्तेमाल होता है। 
  • बर्फबारी के दौरान जब पेड़ गिर जाते हैं तो लकड़ी को जलाने में प्रयोग किया जाता है।

लोकसभा चुनाव और क्रिकेट से संबंधित अपडेट पाने के लिए डाउनलोड करें जागरण एप


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.