22 साल की उम्र में अपनी पंचायत का प्रतिनिधित्व करेंगी हिमाचल की ये युवा प्रधान, जानिए क्या हैं लक्ष्य
Youngest Panchayat Pradhan हिमाचल में प्रथम चरण के पंचायत चुनाव में 22 वर्ष की युवतियां प्रधान पद पर जीत दर्जकर अपने क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करेंगी। बिलासपुर जिला की साई खारसी पंचायत जागृति और शिमला के रोहड़ू क्षेत्र की लोअर कोटी पंचायत अवंतिका चौहान ने प्रधान पर जीत हासिल की है।
रोहडू/बिलासपुर, जेएनएन। हिमाचल प्रदेश में प्रथम चरण के पंचायत चुनाव में 22 वर्ष की युवतियां प्रधान पद पर जीत दर्जकर अपने क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करेंगी। बिलासपुर जिला की साई खारसी पंचायत जागृति और शिमला के रोहड़ू क्षेत्र की लोअर कोटी पंचायत अवंतिका चौहान ने प्रधान पर जीत हासिल की है। बताया जा रहा है अवंतिका चौहान प्रदेश में सबसे छोटी उम्र की प्रधान नियुक्त हुई हैं। 21 दिसबंर 1998 में जन्मी अवंतिका चौहान पंचायतीराज चुनाव के माध्यम से पंचायत की मुखिया बनकर अपनी पंचायत को देश में आदर्श बनाना चाहती हैं। जिसकी देश के मानचित्र में अलग पहचान हो। जहां पर वे समाज के जरूरतमंदों की सेवा कर सरकार की ओर से गांव के विकास के लिए बनाई गई योजनाओं को जमीनी स्तर पर बेहतर ढंग से लागू कर पंचायत की सूरत बदलने को लेकर वचनबद्ध हैं। अवंतिका ने बीकॉम की पढ़ाई के साथ ग्रामीण विकास में पीजी डिप्लोमा किया है, वहीं वे यूपीएससी की भी तैयारी कर रही हैं।
लोअर कोटी की 22 वर्षीय युवा प्रधान का कहना है कि समाज सेवा का जज्बा उन्हें अपने पिता दयानंद चौहान से मिला। वहीं वे न्यूजीलैंड की प्रधानमंत्री जैसेडा आर्डन को भी अपना आदर्श मानती हैं। दैनिक जागरण से बात करते हुए उन्होंने कहा वर्ष 2016 से 2019 के दौरान जब वे दिल्ली में बीकॉम कर रही थी तो इस दौरान वह राष्ट्रीय सेवा योजना से जुड़ीं थी। इसके साथ वह अन्य समाजसेवी कार्यकर्ताओं के साथ मिलकर दिव्यांग छात्रों के कैरियर व कौशल को प्रोत्साहित करने के लिए सहयोग भी करती रही हैं। वहीं से उन्हें लगा कि अपने क्षेत्र, गांव में भी इसी तरह से असहाय व जरूरतमंदों को सहयोग की जरूरत है।
कोरोनाका ल के चलते अपने गांव आकर अवंतिका को ऑनलाइन पढ़ाई के साथ गांव में रहने का मौका मिला। इसके बाद उसने पंचायत चुनाव में प्रधान पद का चुनाव लड़कर लोगों की सेवा करने का मन बनाया। समाज सेवा के उद्देश्य से मैदान में उतरी इस युवा प्रधान को अपने प्रतिद्वंद्वी व मतदाताओं के साथ अपनी उम्मीदवारी को प्रबल साबित करने के लिए खूब पसीना बहाना पड़ा। इस दौरान उन्हें कम उम्र व अनुभव के चलते हर मतदाता को अपने काम असाधारण व उचित प्रबंधन के रूप में काम करने के तरीकों को सामने रखना पड़ा। जिस पर लोगों ने उन पर विश्वास कर प्रधान पद की जीत दिलवाई।