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पालमपुर के प्रवेशद्वार में शहीद स्‍मारक तैयार, इन तीन शहीदों की लगेंगी एक साथ प्रतिमाएं, जानिए शौर्य गाथा

War Memorial Palampur हिमाचल प्रदेश को वीर भूमि कहा जाता है। यहां के शहर नगर व गांव से सैनिक हैं। पालमपुर के प्रवेशद्वार कालू दी हट्टी में शहीद स्मारक तैयार हो गया है। स्मारक में देश के विभिन्न आपरेशन में शहीद हुए तीन शहीदों की प्रतिमाएं स्थापित की जाएंगी।

By Rajesh Kumar SharmaEdited By: Published: Sat, 29 Jan 2022 08:58 AM (IST)Updated: Sat, 29 Jan 2022 08:58 AM (IST)
पालमपुर के प्रवेशद्वार में शहीद स्‍मारक तैयार, इन तीन शहीदों की लगेंगी एक साथ प्रतिमाएं, जानिए शौर्य गाथा
पालमपुर के प्रवेशद्वार कालू दी हट्टी में तीन शहीदों की प्रतिमाएं स्थापित की जाएंगी।

पालमपुर, संवाद सहयोगी। War Memorial Palampur, उपमंडल कार्यालय पालमपुर के प्रवेशद्वार कालू दी हट्टी में शहीद स्मारक तैयार हो गया है। स्मारक में देश के विभिन्न आपरेशन में शहीद हुए तीन शहीदों की प्रतिमाएं स्थापित की जाएंगी। किसी जगह पर एक साथ तीन शहीदों की प्रतिमाएं स्थापित होना प्रदेश के इतिहास में गौरवमयी बात है। यहां पर लगने वाली यह प्रतिमाएं स्थानीय इलाके के शहीदों की ही हैं। कालू दी हट्टी में पहली बार लगने वाली प्रतिमाएं नेक राम, कैप्टन विशाल भंदराहल व लेफ्निेंट कर्नल रजनीश परमार की होंगी।

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सिपाही नेक चंद पुत्र घसीटा राम निवासी कालू दी हट्टी का जन्म 28 मार्च अगस्त 1943 में हुआ था। अठारह साल की आयु में सेना में भर्ती हुए थे। लेकिन भर्ती होने के बाद ही वह दो साल बाद 1965 में भारत-पाकिस्तान के युद्व में अपनी बहादुरी का डंका बजाते हुए शहीद हो गए थे। वह 22 साल की उम्र में ही शहीद हो गए थे।

कालू दी हट्टी निवासी कैप्टन विशाल भंदराहल पुत्र दिलीप भंदराहल 26 सिंतबर 2006 में आंतकवादियों लोहा लेते हुए शहीद हुए थे। जम्मू कश्मीर के बारामुल्ला के बांदीपुर गांव में उनकी मुठभेड़ आंतकवादियों से हो गई थी। विशाल के ताया जेएसआर का कहना है कि उनकी वहां से मेजर रैंक की प्रमोट होकर ग्वालियर पोस्टिंग हो गई थी। लेकिन उनके पंद्रह मिनट जाने से पहले ही बांदीपुर आतंकवादियों की घुसपैठ की सूचना मिली थी। लिहाजा, वह जाने से पहले इस मुठभेड़ में चले गए। जहां पर आंतकवादियों से आमने सामने हुई मुठभेड़ में वह 26 सिंतबर 2006 में 27  साल की उम्र में ही शहीद हो गए थे।

तीसरी प्रतिमा लेफ्टिनेंट कर्नल रजनीश परमार

निवासी मूलत ननाओं, वर्तमान में परिवार मारंडा में रह रहा है। शहीद लेफ्टिनेंट कर्नल रजनीश परमार पुत्र मुख्तयार सिंह परमार भूटान में भारत और भूटान के संयुक्त अभ्यास के दौरान चीता हेल्लीकाप्टर क्रैश में शहीद हुए थे। अपने अभ्यास के दौरान व भूटान के हाशीमारा में प्रशिक्षक पायलट कैप्टन बांगडी के साथ खिरमू से योंगफुल्ला के लिए उड़ान पर थे। इस बीच योंगफुल्ला के पास उनका हेलीकाप्टर चीता क्रैश होने से वह 27 सिंतबर 2019 को शहीद हुए थे। शहीद लेफ्टिनेट कर्नल परमार को बचपन से ही हवा में उडऩे का शोक था। लिहाजा, उन्होंने सेना में जाने के नासिक से अपने उड़ान की बेसिक टे्रेनिंग पूरी की थी। उनके पिता मुख्तयार सिंह भी वायुसेना में अधिकारी थे व छोटा भाई निखिल परमार भी सेना में कर्नल है।


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