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प्रदेश कृषि मंत्री वीरेंद्र कंवर आज पालमपुर में, चाय उत्पादन बढ़ाने के प्रयासाें काे देंगे गति

प्रदेश में व्यवसायिक चाय उत्पादन क्षेत्र में बढ़ोतरी को लेकर कृषि विभाग ने प्रयास शुरू कर दिए हैं। प्रदेश में अधिकाधिक चाय क्षेत्र को व्यवसायिक उत्पादन के तहत लाने और उत्पादन तथा बिक्री बढ़ाने की मंशा के सरकार भी आगे बढ़ी है।

By Richa RanaEdited By: Published: Tue, 14 Dec 2021 08:52 AM (IST)Updated: Tue, 14 Dec 2021 08:52 AM (IST)
प्रदेश कृषि मंत्री वीरेंद्र कंवर आज पालमपुर में, चाय उत्पादन बढ़ाने के प्रयासाें काे देंगे गति
कृषि विभाग की ओर से पालमपुर में पहले स्वर्ण जयंती टी-फेयर का शुभारंभ वीरेंद्र कंवर करेंगे।

पालमपुर, कुलदीप राणा प्रदेश में व्यवसायिक चाय उत्पादन क्षेत्र में बढ़ोतरी को लेकर कृषि विभाग ने प्रयास शुरू कर दिए हैं। प्रदेश में अधिकाधिक चाय क्षेत्र को व्यवसायिक उत्पादन के तहत लाने और उत्पादन

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तथा बिक्री बढ़ाने की मंशा के सरकार भी आगे बढ़ी है। कांगड़ा चाय की पहचान अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कायम रखने सहित निर्यात को बढ़ाने की गर्ज से 14 दिसंबर काे कृषि विभाग की ओर से पालमपुर में पहले स्वर्ण जयंती टी-फेयर का आयोजन किया जा रहा है।

इसका शुभांरभ प्रदेश कृषि मंत्री वीरेंद्र कंवर करेंगे। इसमें प्रदेश भर से लगभग 400 लघु चाय उत्पादकाें सहित उद्याेग से जुड़े लाेग भाग लेंगे। टी-फेयर की सफलता के बाद प्रदेश कृषि विभाग ने मार्च-अप्रैल में टी-फेस्टिवल आयाेजन की प्रस्तावना भी तैयार कर रखी है। बताया जाता है कि कांगड़ा चाय को प्रचारित करके विदेशाें में बिक्री बढ़ाने के लिए कृषि विभाग ने कमर कस ली है। कृषि विभाग एवं सीएसआईआर-आईएचबीटी के संयुक्त सहयाेग से कांगड़ा चाय को प्रोत्साहित करने के लिए टी-फेयर में प्रदर्शनी भी लगाई जाएगी। इसमें कांगड़ा चाय से जुड़े विभागों सीएसआईआर-आइएसबीटी और कृषि विभाग के साथ कृषि विश्वविद्यालय व भारतीय चाय बाेर्ड के क्षेत्रीय कार्यालय की ओर से चाय के विभिन्न प्रकलापाें काे प्रदर्शित किया जाएगा।

को-आपरेटिव चाय फैक्टरी पालमपुर सहित कांगड़ा चाय से जुड़े बड़े उद्यमियाें धर्मशाला टी कंपनी, हिमालयन ब्रू, वाह टी एस्टेट, मांझी वैली टी फैक्टरी व अन्य लघु स्तर पर कार्यरत चाय उद्यमी तथा स्वयं सहायता समूह भाग लेंगे। कृषि विभाग के तकनीकी चाय अधिकारी डा. सुनील पटियाल के मुताबिक टी-फेयर के दौरान तकनीकी सत्र में कृषि विभाग के विशेषज्ञ चाय उत्पादकों को चाय की नई किस्मों, विभिन्न प्रकलापाें एवं विपणन काे लेकर जागरूक भी करेंगे। तकनीकी सत्र में चायृ क्षेत्र में उत्पादन व इससे उत्पादकों को ज्यादा लाभ दिलाने पर विस्तार से चर्चा हाेगी।

कांगड़ा चाय के मौजूदा हालात

वर्तमान में प्रदेश के ऊपरी भागाें में 2311 हैक्टेयर भूमि चाय पर चाय की खेती हाे रही है। इसमें लगभग 5900 किसान-बागवान जुड़े हुए हैं। 96 प्रतिशत किसानों के पास लगभग आधा हेक्टेयर या कम चाय बागान हैं। जबकि 2311 हेक्टेयर क्षेत्र में 47 फीसदी चाय बागानाें में ही अभी तक व्यावसायिक ताैर पर चाय उत्पादन हो रहा है। इसे बढ़ाने एवं इसके अन्य वैकल्पित उत्पाद तैयार करने काे लेकर भारतीय चाय बाेर्ड, सीएसआइआर-आईएसबीटी व अन्य संस्थान लगातार कार्य कर रहे हैं। आधुनिक दाैर में बिस्तर पर चाय की चुस्कियाें के घटते प्रचलन काे लेकर वैज्ञानिक इसके अलग-अलग उत्पाद तैयार कर रहे हैं। ताकि हृदय राेगाें में बेहतर मानी जाने वाली चाय में विद्यमान औषधियाें काे मनुष्य के शरीर में पहुंचाया जा सके। इसके तहत सीएसआइआर-आइएसबीटी ने टी-बाइन तैयार कर चाय के शाैकीनाें काे आकर्षित किया है।


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