सड़क दुर्घटना में घायल राजा के तालाब के सौरभ को उपचार के लिए आर्थिक सहायता की दरकार
सड़क दुर्घटना में घायल होकर जिंदगी और मौत से जूझ रहे सौरभ के ईलाज के लिए बीस हजार रुपये की आर्थिक मदद नाकाफी रही है। सड़क दुर्घटना में सौरभ चौधरी की रीढ़ की हड्डी और एक टांग में गंभीर चोटें आई हैं।
राजा का तालाब, संवाद सूत्र। सड़क दुर्घटना में घायल होकर जिंदगी और मौत से जूझ रहे सौरभ के इलाज के लिए बीस हजार रुपये की आर्थिक मदद नाकाफी रही है। सड़क दुर्घटना में सौरभ चौधरी की रीढ़ की हड्डी और एक टांग में गंभीर चोटें आई हैं। सौरभ पिछले एक वर्ष से चल फिर नहीं सकता और चौबीस घंटे बिस्तर पर है। अस्पताल के चिकित्सक उसे आइजीएमसी अस्पताल शिमला में फीजियोथैरपी किए जाने की सलाह दे रहे हैं।
गरीबी किसी अभिशाप से कम नहीं होती। अगर इसी बीच किसी पर बीमारी का बोझ पड़ जाए तो बिखर कर रह जाता है। ऐसे में समाज का दायित्व बनता है कि ऐसे जरूरतमंद व्यक्ति की मदद के लिए हाथ बढ़ाए जाएं। अपने पिता के बुढ़ापे की लाठी बनने से पहले उस अभागे को क्या पता था की बो बीच सड़क में दुर्घटना में दिव्यांग हो जाएगा। ऐसा ही एक केस जिला कांगड़ा के ब्लॉक फतेहपुर की ग्राम पंचायत लारथ के गांव बरोह में राकेश कुमार के घर जन्मे 20 साल के सौरभ का है। राकेश कुमार मेहनत मजदूरी करके अपना और अपने परिवार का पेट भरा करते थे।गरीब हालात होने के कारण सौरभ ने भी मेहनत मजदूरी,दिहाड़ी लगाना शुरू कर दिया।
24 जुलाई 2020 की सुबह सौरभ घर से राजा के तालाब की तरफ काम से जा रहा था तभी अचानक से तेज गति से आते वाहन ने उसे टक्कर मार कर अपाहिज बना दिया था। इस हादसे में सौरभ की रीढ़ की हड्डी पर इस कदर चोट आई की देखते ही देखते बह अपाहिज बन गया। सौरभ के शरीर का निचला हिस्सा निर्जीव बनकर रह गया है।सौरभ के परिवार बालों ने उसका इलाज पीजीआई चंडीगढ़ से भी शुरू किया,मग़र उसके शरीर में फिलहाल कोई सुधार होते नहीं दिख रहा था।सौरभ के परिवार बालों की आर्थिक स्थिती इतनी ठीक नहीं थी कि वह किसी बड़े अस्पताल में उसका अच्छा ईलाज भी जारी रख सकें।
पीजीआइ चंडीगढ़ के चिकित्सकों की और से सौरभ को लिखी दवाइयाँ इस कदर महंगी थी जिसे वह खरीद नहीं पा रहे थे। इलाके के कुछेक समाज सेवकों ने इस पीड़ित परिवार की आर्थिक मदद करके सौरभ का ईलाज जारी रखने की मुहिम छेड़ी है।सौरभ तीन महीने तक नूरपुर अस्पताल में भी लगातार उपचाराधीन रहा,मग़र उसका टांग का जख्म कुछ जरूर भर आया है।वहीं उसका शरीर अब दिन प्रतिदिन सिकुड़ता जा रहा जिसको लेकर उसके परिवारजन बेहद परेशानी का सामना कर रहे हैं।
चिकित्सकों का कहना कि अगर सौरभ की प्रतिदिन फीजियोथैरपी की जाए तभी उसके स्वास्थ्य में कुछ सुधार होते देखने को मिल सकता है।इस पीड़ित परिवार को आइजीएमसी अस्पताल शिमला में बेटे सौरभ का ईलाज शुरू किए जाने के लिए मदद की जरूरत है।हिमाचल प्रदेश मुख्यमंत्री फंड से इस परिवार को केवलमात्र बीस हजार रुपये की ही मदद मिल पाई है। मगर सौरभ के ईलाज के लिए यह धनराशि नाकाफी रही है।
बीमार सौरभ के माता पिता ने सरकार से आर्थिक मदद की गुहार लगाई है।उनका कहना कि सरकारी मदद बिना वह अपने बेटे का ईलाज आइजीएसी शिमला करवाने में असमर्थ हैं। उधर सौरभ को भयंकर टक्कर मारकर घायल करने वाले वाहन चालक खिलाफ पुलिस चौकी रेहन में इस बाबत रिपोर्ट भी दर्ज करवाई गई, मगर एक वर्ष बीत जाने बावजूद भी इस मामले में कोई कार्रवाई न होना समझ से परे है।सीडीपीओ फतेहपुर ने सौरभ के घर आकर उसे मिलने वाली अपंगता पेंशन के फार्म भरकर सरकार को भेज दिए हैं।