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अटल टनल रोहतांग के रूप में हमेशा मनालीवासियों के बीच मौजूद हैं वाजपेयी, हिमाचल से रहा खास नाता

Atal Bihari Vajpayee भारत रत्न एवं पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी अटल टनल रोहतांग के रूप में हमेशा कुल्लू-मनाली वासियों के बीच मौजूद रहेंगे। रोहतांग टनल का सपना जो वाजपेयी ने अपने लाहुली दोस्त अर्जुन गोपाल संग देखा था वो इस साल पूरा हो गया है।

By Rajesh SharmaEdited By: Published: Thu, 24 Dec 2020 12:34 PM (IST)Updated: Thu, 24 Dec 2020 01:01 PM (IST)
अटल टनल रोहतांग के रूप में हमेशा मनालीवासियों के बीच मौजूद हैं वाजपेयी, हिमाचल से रहा खास नाता
पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी मनाली में ग्रामीण के साथ।

मनाली, जसवंत ठाकुर। भारत रत्न एवं पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी अटल टनल रोहतांग के रूप में हमेशा कुल्लू-मनाली वासियों के बीच मौजूद रहेंगे। रोहतांग टनल का सपना जो वाजपेयी ने अपने लाहुली दोस्त अर्जुन गोपाल संग देखा था वो इस साल पूरा हो गया है। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीन अक्टूबर को टनल का लोकार्पण कर इसे देश को समर्पित किया था। रोहतांग दर्रे के नीचे रणनीतिक महत्‍व की सुरंग बनाए जाने का निर्णय पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यकाल में तीन जून 2000 को लिया गया था। अटल टनल के साउथ पोर्टल को जोड़ने वाली सड़क की आधारशिला 26 मई 2002 को रखी गई थी।

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वाजपेयी ने साल 2003 में रोहतांग टनल के साउथ पोर्टल को जाने वाली सड़क का शिलान्यास किया था। सुरंग के दोनों छोर 15 अक्टूबर 2017 को जुड़े। हिमाचल प्रदेश सरकार के मंत्रिमंडल की बैठक में 20 अगस्त 2018 को रोहतांग टनल का नाम पूर्व प्रधानमंत्री के नाम पर रखने का प्रस्ताव पास किया गया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय वाजपेयी की 95वीं जयंती पर 25 दिसंबर 2019 को उनकी स्मृति में रोहतांग टनल का नामकरण अटल टनल रोहतांग के रूप में करने की घोषणा की।

1968 में पहली बार आए थे मनाली

अटल जी1968 में पहली बार मनाली आए थे। वाजपेयी मनाली की वादियों से इतना प्रभावित हुए कि उन्होंने मनाली को ही अपना दूसरा घर बना लिया। जीवनभर राजनीति में सक्रिय रहने वाले अटल 1992 के बाद मनाली के हक गए और तब से उनका मनाली आना-जाना लगा रहा। प्रधानमंत्री बनने पर हर साल जून महीने में एक सप्ताह तक मनाली से ही देश का संचालन किया। मनाली के प्रीणी निवासियों ने उन्हें मुखिया की उपाधि दी। ग्रामीणों के वे प्रिय चाचू व बच्चों के प्रिय मामू बन गए। वाजपेयी जब भी मनाली रहने आते थे तो ग्रामीण उन्हें सब्जियां और स्थानीय पकवान पहुंचाते थे।

16 साल का हो गया अटल द्वारा लगाया देवदार का पौधा

अटल बिहारी वाजपेयी ने प्रीणी गांव में 2004 में देवदार का पौधा रोपा था, जो आज 16 साल का हो गया है। गांव वासी इसे अटल जी की याद के रूप में देखते हैं व इसकी पूरी देखभाल करते हैं। स्कूल के प्रांगण में लगा यह पौधा हर विद्यार्थी को अटल बिहारी वाजपेयी की याद दिलाता रहेगा।

अटलजी के स्वागत को घंटों खड़े रहते थे प्रीणी वासी

पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी के गांव प्रीणी में इस बार भी पूर्व प्रधानमंत्री वाजपेयी की जयंती पर 25 दिसंबर को विशेष पूजा पाठ किया जाएगा। प्रीणी पंचायत के प्रधान शिवदयाल ठाकुर ने बताया कि शुक्रवार को ग्रामीण हर साल की तरह इस बार भी पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी का जन्मदिवस मनाएंगे। ग्रामीण अपने मुखिया को दुखी मन से याद करेंगे।

तुम्हारे मामा की नौकरी चली गई

2003 में केंद्र में कांग्रेस की सरकार बन गई। अटल जी उस साल राजनीतिक थकान मिटाने मनाली पहुंचे तो उनका प्रीणी स्कूल में आना हुआ। वाजपेयी ने 15 हजार रुपये ये कहते हुए दिए कि अभी इतने ही हैं, क्योंकि हाल ही तुम्हारे ‘मामा’ की नौकरी चली गई है। उस समय अधिकतर बच्चों को यह समझ नहीं आया। लेकिन आज उस बात को याद कर सभी उनकी कमी महसूस कर रहे हैं।

यकीन नहीं हो रहा कि वो हमारे बीच नहीं

अटल जी के साथ अधिकतर समय बि‍ताने वाले प्रीणी गांव के कारदार लोत राम ने कहा कि अटल जी को स्थानीय पकवान बहुत पसंद थे। जब भी दिल्ली से खबर आती थी कि वह मनाली दौरे पर आ रहे हैं तो सभी ग्रामीण उनका बेसब्री से इंतजार करते थे। अटल जी की उपस्थिति में माहौल उत्सव सा बना रहता था। अटल जी हमारी यादों में हमेशा हमारे बीच रहेंगे।

मामू से प्रेरित होकर ही बना पंचायत प्रधान

अटल के घर में घास लगाकर हरियाली लाने वाले ग्रामीण कुंदन का कहना है कि वह अटल जी की प्रेरणा से ग्राम पंचायत के प्रधान बने। घास लगाते समय मामू ने प्रधान बनने का आशीर्वाद दिया था। मामू के हाथों मिला प्यार व दुलार आज भी याद है। उन्होंने कहा उस समय पुराने स्पेयर पार्ट को एकत्रित कर एक घड़ी बनाकर अटल जी को दी थी जो आज भी उनके घर में मौजूद है।

 

आज भी याद है वाजपेयी का प्यार व दुलार

फोटोग्राफी में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाने वाले राजन राय का कहना है कि उन्हें अटल जी द्वारा प्यार से बुलाना व सिर पर हाथ रखकर आशीर्वाद देने जैसे सुनहरे पल आज भी याद हैं। उन्होंने कहा वाजपेयी जी को फोटो भेंट की थी तो उन्‍होंने उनकी प्रतिभा को सराहा था।

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