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चट्टान के नीचे हर आवाज में मौत की आहट थी

मैं बस के चालक व परिचालक के साथ उतरकर आगे यह देखने के लिए आया था कि रास्ता क्यों बाधित है। वहां पहुंचे कि पीछे पूरा दृश्य ही बदल गया। जहां पर सुरक्षित महसूस कर रहे थे वहीं पर सबसे ज्यादा खतरा मंडराने लगा।

By Neeraj Kumar AzadEdited By: Published: Thu, 12 Aug 2021 09:24 PM (IST)Updated: Thu, 12 Aug 2021 09:24 PM (IST)
चट्टान के नीचे हर आवाज में मौत की आहट थी
खनेरी अस्पताल में भर्ती निगुलसरी हादसे में घायल चंदन। जागरण

रामपुर बुशहर, संजय भागड़ा। 'मैं बस के चालक व परिचालक के साथ उतरकर आगे यह देखने के लिए आया था कि रास्ता क्यों बाधित है। वहां पहुंचे कि पीछे पूरा दृश्य ही बदल गया। जहां पर सुरक्षित महसूस कर रहे थे, वहीं पर सबसे ज्यादा खतरा मंडराने लगा। एक दम से पूरा पहाड़ नीचे गिरने लगा, कहीं भागना तो दूर, कुछ सोचने तक समय नहीं मिला। मैं चालक-परिचालक के साथ ही चट्टान के नीचे बैठ गया। इस दौरान टांगों में चोटें आईं। ढाई घंटे तक हम तीनों चट्टान के नीचे बैठे रहे। इस दौरान एक छोटा पत्थर के गिरने की आवाज भी हम तक पहुंचती तो पूरा शरीर कांप जाता। इस दौरान कई बार मौत को देखा। बस हर पल भगवान का नाम लेते हुए काट दिया। यह कहना है चंदन नेगी का जो हरिद्वार से रिकांगपियो जा रही बस में थे। चंदन नेगी रामपुर अस्पताल में दाखिल हैं। खौफ का आलम यह है किवह हादसे के डर से बाहर नहीं निकल पा रहे हैं। चंदन का कहना है कि हम तीनों के अलावा बस से कोई नीचे नहीं आया था।

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साथ बैठे लोग भी नजर नहीं आ रहे थे : राजेंद्र

भावानगर अस्पताल में उपचाराधीन राजेंद्र ने बताया कि वे वाहन में ही फंसे रहे। उस वाहन में सवार बाकी लोग नहीं मिले हैं, लेकिन उनकी तरफ मलबा कम होने के कारण जल्द ही मलबे को हटा लिया। इस कारण वह बच गए। उन्होंने बताया कि मैं जीप में ही बैठा था, इस दौरान कुछ लोग आगे की तरफ गए थे। मैं अपने मोबाइल फोन पर इंटरनेट मीडिया में व्यस्त था। सभी वाहन एक किनारे पर लगे थे। एक सेकंड में जो हुआ, वह कभी सपने में भी नहीं सोचा था। पहाड़ टूटा और वाहन पूरी तरह से मलबे में दब गया। मेरी तरफ मलबा कम था, ऐसे में सांस ले पा रहा था, लेकिन साथ बैठे लोगों को नहीं देख पा रहा था। हालत यह थी कि एक समय तो मुझे भी लगा कि अब कुछ नहीं हो सकता है। इस दौरान भगवान का नाम लेता रहा। जब मलबा हटाने के लिए मशीनें लगी तो उम्मीद जगी। आवाज सुन रही थी, इसलिए उम्मीद भी बनी रही।

प्रशांत व वरुण बोले, एक दम हमारी तरफ आ गई चट्टानें

ऊना के प्रशांत व वरुण को अब तक अपने दोस्त बलराम का इंतजार है। तीनों ही दोस्त साथ घूमने के लिए आए थे, लेकिन तीसरा दोस्त अब तक नहीं मिल पाया है। दोनों दोस्तों ने बलराम का इंतजार करने का फैसला लिया है। उसे साथ लेकर ही वापस जाने की बात कह रहे हैं।


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