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राजनीतिक पटल में अलग-थलग रहे चाचा-भतीजा गुलाब सिंह ठाकुर व सुरेंद्र पाल ठाकुर शादी समारोह में मिले, लगाए जा रहे यह कयास

Gulab Singh and Surender Pal Meeting मंडी जिला के जोगेंद्रनगर में राजनीतिक पटल पर सियासत गरमा गई है। करीब 20 साल बाद पूर्व विधायक सुरेंद्र पाल ठाकुर (भतीजा) और पूर्व मंत्री गुलाब सिंह ठाकुर (चाचा) का पारिवारिक शादी समारोह में शिरकत करना चर्चा का विषय बन गया है।

By Virender KumarEdited By: Published: Tue, 14 Dec 2021 06:46 PM (IST)Updated: Tue, 14 Dec 2021 08:41 PM (IST)
राजनीतिक पटल में अलग-थलग रहे चाचा-भतीजा गुलाब सिंह ठाकुर व सुरेंद्र पाल ठाकुर शादी समारोह में मिले, लगाए जा रहे यह कयास
बेटे की शादी में पूर्व मंत्री गुलाब सिंह ठाकुर (बायें) के साथ पूर्व विधायक सुरेंद्र पाल ठाकुर। सौ: इंटरनेट मीडिया।

जोगेंद्रनगर, संवाद सहयोगी। Gulab Singh and Surender Pal Meeting, मंडी जिला के जोगेंद्रनगर में राजनीतिक पटल में अलग-थलग दिखने वाले भाजपा और कांग्रेस के दिग्गज नेताओं के मिलन से क्षेत्र की सियासत गरमा गई है। करीब 20 साल बाद पूर्व विधायक सुरेंद्र पाल ठाकुर (भतीजा) और पूर्व मंत्री गुलाब सिंह ठाकुर (चाचा) का पारिवारिक शादी समारोह में शिरकत करना चर्चा का विषय बन गया है।

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इंटरनेट मीडिया पर अधिकांश लोगों ने दिग्गज नेताओं के मिलन को क्षेत्र के विकास का हितकारी बताया है। पूर्व विधायक ठाकुर सुरेंद्र पाल के बेटे रामचंद्र की शादी में पूर्व मंत्री गुलाब सिंह ठाकुर की परिवार सहित उपस्थिति दर्ज करवाने के बाद इस प्रकार की चर्चा शुरू हुई है। हालांकि यह एक शादी समारोह था जहां पर दो परिवार एक साथ खड़े हुए थे।

पूर्व मंत्री गुलाब सिंह ठाकुर की बहू मेघना ठाकुर के साथ कांग्रेस नेत्री बिमला चौहान।

विधानसभा क्षेत्र जोगेंद्रनगर में पूर्व मंत्री गुलाब सिंह ठाकुर के 40 साल से अधिक के राजनीतिक सफर में उनके भतीजे सुरेंद्र पाल ठाकुर भी एक कड़ी बनकर रहे हैं। 1977 में गुलाब सिंह ठाकुर ने जनता पार्टी से जब पहला चुनाव जीता तब से लेकर उनके भतीजे सुरेंद्र पाल ठाकुर उनके चुनाव प्रबंधक के तौर पर भी जुड़े रहे। 1982 में आजाद उम्मीदवार चुनाव जीतने के बाद गुलाब सिंह ठाकुर ने 1985 में कांग्रेस की टिकट पर चुनाव जीता और 1998 तक जीतते रहे, लेकिन 1998 में कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीतने के बाद हिविकां-बीजेपी गठबंधन सरकार में गुलाब सिंह ठाकुर की एंट्री से न केवल क्षेत्र के राजनीतिक समीकरण बदले बल्कि पारिवारिक रिश्तों में भी बदलाव शुरू हो गया।

2003 में सुरेंद्र पाल ठाकुर ने कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीता और अपने चाचा गुलाब सिंह ठाकुर को ही हरा दिया। इसके बाद 2007 और 2012 में चाचा-भतीजे की चुनावी दंगल में टक्कर होती रही। गुलाब सिंह चुनाव जीतते रहे, लेकिन सुरेंद्र पाल के सिर पर जीत का सेहरा दोबारा नहीं सजा। 2017 के चुनाव में पूर्व मंत्री गुलाब सिंह ठाकुर बीजेपी की टिकट पर चुनाव हार गए और कांग्रेस प्रत्‍याशी की जमानत जब्त हुई। विधायक प्रकाश राणा भारी बहुमत से बतौर आजाद चुनाव जीते और अब विधानसभा चुनावों के एक साल पहले चाचा-भतीजे का मिलन क्षेत्र की सियासत में क्या समीकरण लेकर आता है यह चर्चा का विषय बन चुका है।


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