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कारोबार में लॉकडाउन आया आड़े तो हुए ऑनलाइन, अब पूरे देश में उत्‍पाद पहुंचा कर रहे ज्‍यादा कमाई

Online Business शिमला के दो युवाओं ने ग्रामीण उत्पादों को राष्ट्रीय मार्केट तक पहुंचाया और लोगों को आत्मनिर्भर बनने का रास्ता दिखाया।

By Rajesh SharmaEdited By: Published: Mon, 03 Aug 2020 11:11 AM (IST)Updated: Mon, 03 Aug 2020 11:11 AM (IST)
कारोबार में लॉकडाउन आया आड़े तो हुए ऑनलाइन, अब पूरे देश में उत्‍पाद पहुंचा कर रहे ज्‍यादा कमाई
कारोबार में लॉकडाउन आया आड़े तो हुए ऑनलाइन, अब पूरे देश में उत्‍पाद पहुंचा कर रहे ज्‍यादा कमाई

शिमला, जेएनएन। विदेश में पढ़ाई करने के बाद देश के बड़े संस्थानों में उच्च पदों पर नौकरी शुरू की, लेकिन यह पहाड़ की मिट्टी की खुशबू ही थी, जो राजधानी शिमला के दो युवाओं को वापस खींच लाई। दोनों ने यहां आकर ग्रामीण उत्पादों को राष्ट्रीय मार्केट तक पहुंचाया और लोगों को आत्मनिर्भर बनने का रास्ता दिखाया। यही नहीं अब बुरांश नाम से स्टार्टअप शुरू किया और उत्पादों को ऑनलाइन बेचा जा रहा है। शिमला की गौतमी श्रीवास्तव और सिद्धार्थ लखनपाल ने शुरू में सात स्वयंसेवी संस्थाओं के अचार से लेकर अन्य उत्पादों को बाजार में उतारना शुरू किया। इनके लिए मार्केट तलाशी। सबसे पहले हरियाणा के सूरजकुंड मेले में गांव में बने उत्पादों का स्टॉल लगाया। 15 दिन में एक लाख रुपये कमाए। लेकिन लॉकडाउन के दौरान सामान लाने से लेकर पहुंचाने की परेशानी हुई तो ऑनलाइन व्यापार शुरू कर दिया। स्टार्टअप में निवेश भी अपने ही स्तर पर किया।

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किन उत्पादों को बेच रहे

अचार, जैम, हर्बल साबुन, क्रीम चिलगोजे, राजमाह और हर्बल चाय को ऑनलाइन बेचा जा रहा है। अब इन्हें देश के विभिन्न हिस्सों से काफी डिमांड भी आ रही है। चंबा, कांगड़ा, अप्पर शिमला, किन्नौर, स्पीति की स्वयंसेवी संस्थाओं के हर्बल प्रोडक्ट भी बुरांश वेबसाइट के माध्यम से बेच रहे हैं। 

नीति आयोग में सलाहकार थीं गौतमी

गौतमी श्रीवास्तव ने पहले पुणे से पत्रकारिता का कोर्स किया। इसके बाद विदेश में पढ़ाई की। पढ़ाई करने के बाद नीति आयोग में सलाहकार के तौर पर सेवाएं दी। वहीं, सिद्धार्थ ने दिल्ली विश्वविद्यालय से पढ़कर दिल्ली में ही थिंक टैंक संस्थान में शोधकर्ता के रूप में सेवाएं दी। इस दौरान ही दोनों ने हिमाचल में अपने लोगों के लिए कुछ करने की योजना बनाई थी।

पैकिंग का काम करते हैं खुद

सेल्फ हेल्प ग्रुप के उत्पादों को मार्केट बेहतर मिल सके, इसलिए उन्हें खुद ही दोनों बेहतर तरीके से पैक करते हैं। इससे हिमाचल के गांव में बने उत्पादों का जायका पूरे देश के लोग ले पा रहे हैं।


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