हिमाचल में ब्लैक फंगस से दो की मौत
डाक्टर राजेंद्र प्रसाद मेडिकल कॉलेज टांडा में रविवार रात ब्लैक फंगस से पीडि़त दो मरीजों की मौत हो गई। मरने वालों में एक पुरुष व एक महिला शामिल है। ये दोनों जिला कांगड़ा के रहने वाले हैं। प्रदेश में बीमारी से अब तक चार लोगों की मौत हो चुकी है।
धर्मशाला, जागरण संवाददाता। डाक्टर राजेंद्र प्रसाद मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल टांडा में रविवार रात ब्लैक फंगस से पीडि़त दो मरीजों की मौत हो गई। मरने वालों में एक पुरुष व एक महिला शामिल है। ये दोनों जिला कांगड़ा के रहने वाले हैं। प्रदेश में बीमारी से अब तक चार लोगों की मौत हो चुकी है। 28 मई को शिमला के इंदिरा गांधी मेडिकल में भी दो मरीजों ने दम तोड़ा था।
पिछले सप्ताह ही दोनों को अस्पताल में भर्ती करवाया था। शुक्रवार को दोनों के चेहरे पर ब्लैक फंगस के लक्षण दिखे थे और टेस्ट रिपोर्ट में पुष्टि हुई थी। चिकित्सक मरीजों का आपरेशन करने के लिए टेस्ट और अन्य औपचारिकताएं पूरी करवा रहे थे। साथ ही दोनों को एंटी ब्लैक फंगस दवाएं दी जा रही थीं। रविवार रात दोनों की मौत हो गई। इसके अलावा सोमवार को अस्पताल में एक और पुरुष की रिपोर्ट में महामारी के लक्षण दिखे हैं और चिकित्सक उसके इलाज में जुट गए हैं। मुख्य चिकित्सा अधिकारी कांगड़ा डा. गुरदर्शन गुप्ता ने बताया कि रविवार रात टांडा अस्पताल में ब्लैक फंगस से पीडि़त दो मरीजों की मौत हुई है, जबकि एक महामारी की चपेट में आया है।
लक्षण व बचाव
नाक बंद होना, नाक से खून ,काला-सा कुछ निकलना, गाल की हड्डियों में दर्द होना, एक तरफ चेहरे में दर्द, सुन्न या सूजन होना, नाक की ऊपरी सतह का काला होना, आंखों में दर्द होना, धुंधला दिखना या दोहरा दिखना, आंखों के आस-पास सूजन होना इसके लक्षण हैं। हाथों के साथ चेहरे की नियमित साफ-सफाई करें। नाक और आंखों का विशेष ख्याल रखें ।
समय रहते पहचान हो तो ब्लैक फंगस से हो सकता है बचाव
ब्लैक फंगस यानी मयूकोर माइकोसिस हवा में विद्यमान बैक्टीरिया के कारण संक्रमण फैलाने से होता है। यह बैक्टीरिया सामान्य तौर पर हमारे आसपास मौजूद रहते हैं लेकिन स्वस्थ व्यक्ति को इससे डरने की जरूरत नहीं है। गंभीर बीमारियों के कारण शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाए तो इस संक्रमण के होने की संभावना बढ़ जाती है। कोरोना काल में बढ़ते संक्रमण के चलते मरीज अस्पताल में दाखिल हो रहे हैं। पहले से डायबिटीज किडनी रोग सहित अन्य गंभीर बीमारियां हो तो ऐसी स्थिति में हाई डोज स्टेरॉइड दिया जाता है। इससे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता घट जाती है और ब्लैक फंगस का खतरा बढ़ जाता है। साथ ही जो लोग लंबे समय से एनीमिया के चलते आयरन ट्रीटमेंट ले रहे हैं उन्हें भी संक्रमण होने का खतरा है । उन्होंने कहा कि इसकी समय पर जांच होने से उससे बचाव किया जा सकता है ।