धारा 118 मामले में पूर्व आइएएस अधिकारी की मुश्किलें बढ़ी, अब एक और जांच
हिमाचल प्रदेश टेनेन्सी एंड लैंड रिफार्म एक्ट 1972 की धारा 118 के उल्लंघन के आरोप में फंसे एक पूर्व आइएएस अधिकारी की मुश्किलें बढ़ गई हैं। उन पर लगे आरोपों की दोहरी जांच होगी। शिकायत का कड़ा संज्ञान लिया है। अब डीसी ने भी जांच का आदेश दे दिया है।
शिमला, राज्य ब्यूरो। हिमाचल प्रदेश टेनेन्सी एंड लैंड रिफार्म एक्ट 1972 की धारा 118 के उल्लंघन के आरोप में फंसे एक पूर्व आइएएस अधिकारी की मुश्किलें बढ़ गई हैं। उन पर लगे आरोपों की दोहरी जांच होगी। शिकायत का कड़ा संज्ञान लिया है। शिकायत के बाद अब शिमला के डीसी ने भी जांच का आदेश दे दिया है। सूत्रों के अनुसार यह जांच एसडीएम ग्रामीण को सौंपी गई है। उन्हें 15 दिन में जांच रिपोर्ट सौंपनी होगी।
डीएसपी रैंक के अधिकारी करेंगे जांच
उधर, राज्य विजिलेंस एंड एंटी क्रप्शन ब्यूरो में इसी शिकायत की डीएसपी रैंक के अधिकारी जांच करेंगे। दैनिक जागरण ने 11 नवंबर के अंक में धारा 118 के उल्लंघन के आरोप में फंसा अब पूर्व आइएएस अधिकारी, शीर्षक से खबर प्रकाशित की थी। गौरतलब है कि पूर्व अधिकारी को सात मार्च, 2007 को अतिरिक्त मुख्य सचिव एवं वित्तायुक्त राजस्व ने सशर्त जमीन खरीदने की अनुमति के आदेश जारी किए। लेेकिन 14 वर्षों बाद भी इस जमीन पर कोई भी गृह निर्माण नहीं हुआ। जबकि अनुमति दो वर्षों के दी गई थी।
क्या हैैं आरोप
आरोप है कि पूर्व अधिकारी ने साइट प्लान स्वीकृत करवाने के लिए जो शपथपत्र दिया है, वह झूठा है। आरोपों के अनुसार इनमें हिस्सेदार दुर्गा को दुर्गा सिंह दर्शाया गया है। जबकि दुर्गा ङ्क्षसह नाम का कोई भी मालिक नहीं है। दुर्गी देवी जरूर मालिक थी, लेकिन उसकी मौत 26 जुलाई, 2007 से पहले मौत हो गई थी। इसके अलावा शपथपत्र बनाने से पूर्व कृष्ण चंद की मौत हो चुकी थी। शपथ 26 जुलाई, 2007 को तैयार किया गया। शिकायत में कहा गया है कि पूर्व आइएएस ने नगर निगम शिमला को दिए साइट प्लान में शांति देवी के कथित तौर पर जाली तरीके से अंग्रेजी में हस्ताक्षर किए गए हैं। जबकि वह साक्षर नहीं है। वह अंगूठा लगाती है और अभी भी ङ्क्षजदा हैं। शपथपत्र में शेष 41 हिस्सेदारों के कोई हस्ताक्षर नहीं करवाए गए और ही उन्हें इस प्रक्रिया में शामिल किया गया। जमीन में 45 हिस्सेदार हैं।