प्रदेश में ट्रक आपरेटरों पर 18 प्रतिशत अतिरिक्त कर का ट्रांसपोर्टर कर रहे विरोध
प्रदेश में सरकार द्वारा ट्रक आपरेटरों के लिए लाई गई नई पालिसी का क्षेत्र के सभी व्यापारिक संगठन विरोध करते हैं। कुछ दिनों पहले सीएम जयराम ठाकुर की अध्यक्षता में एक बैठक की गई थी। इस बैठक में ट्रक आपरेटरों के लिए एक नई पालिसी लागू की गई थी।
नाहन, जागरण संवाददाता। हिमाचल प्रदेश में सरकार द्वारा ट्रक आपरेटरों के लिए लाई गई नई पालिसी का क्षेत्र के सभी व्यापारिक संगठन विरोध करते हैं। कुछ दिनों पहले सीएम जयराम ठाकुर की अध्यक्षता में एक बैठक की गई थी। इस बैठक में ट्रक आपरेटरों के लिए एक नई पालिसी लागू की गई थी। जिसमें कहा गया है कि जब से ट्रक की रजिस्ट्रेशन हुई है। तब से लेकर अब तक का जितना भी बकाया गुड्स टैक्स बकाया है, जमा करवाकर एनओसी ली जानी अनिवार्य है। इस पर 18 प्रतिशत टैक्स पर ब्याज के अतिरिक्त पेनाल्टी भी लगाई गई है।
सरकार आज भी पुराने सूदखोरों के खून चूसने वाले ब्याज दर को अपना रही है। जबकि बैंक का ब्याज भी अब 9 प्रतिशत से अधिक नहीं है। सरकार की नई नीति के कारण ट्रक आपरेटरों को आर्थिक तौर पर खासा नुकसान भी झेलना पड़ा है। प्रदेश सरकार द्वारा अगर जल्द इस नई पॉलिसी को वापस नहीं लिया गया, तो प्रदेश भर में इसके खिलाफ प्रदर्शन व आंदोलन किए जाएंगे। यह बात नाहन में जारी प्रेस विज्ञप्ति में व्यापार मंडल पांवटा साहिब के प्रधान अनेंदर सिंह नॉटी ने कही। उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा पिछले महीने बैठक के दौरान बसों के दो—दो सालों के टोकन व गुड्स टैक्स माफ किए गए थे, इसी वजह से ट्रक आपरेटरों में रोष पनपा हुआ है। कोरोना की मार ट्रक मालिको पर भी उतनी ही पड़ी, जितनी बाकी वर्गो पर।
ट्रक जैसे वाहनों पर टैक्स बड़ने से सीधे किराए पर असर होगा। जो व्यापारी वर्ग और उपभोक्ता दोनो पर बोझ डालेगा। ट्रक ऑपरेटरों द्वारा जब अपनी गाड़ी की पासिंग करवाई जाती थी। तो वह एक क्वार्टर का टोकन टैक्स व गुड्स टैक्स जमा करने के बाद हो जाती थी। मगर अब सरकार ने उन्हें नए नियमों से बांध दिया है। जिसके चलते उनका पुराना गुड्स टैक्स लाखों रुपए बकाया आ रहा है। उस पर 18 प्रतिशत ब्याज व पेनालिटी भी देना पड़ रहा है। जिसके चलते वह एनओसी लेने में असमर्थ है। जयराम ठाकुर अगर जल्द ही बसों की तर्ज पर ट्रक आपरेटरों पर लगाया गया यह फरमान और जजिया कर और 18 प्रतिशत गुड्स टैक्स लगा ब्याज व अतिरिक्त पेनेलिटी वापस नहीं लेती। तो ट्रक आपरेटरों के साथ मिलकर सरकार के खिलाफ धरने प्रदर्शन व आंदोलन करने को सभी मजबूर होंगे। जिसकी जिम्मेदारी प्रदेश सरकार की होगी।
सरकार को समझना होगा की कर्मचारी वर्ग के साथ साथ अन्य वर्गो को भी न्याय देना जरूरी है। खासतौर ट्रक देश की लाइफलाइन हैं और सरकार को कई तरह का टैक्स देते हैं पर लेते कुछ नहीं। नई पॉलिसी एक गुंडा टैक्स के इलावा कुछ नहीं है जिसको जल्द से जल्द वापिस लिया जाए।