हिमाचल में पाबंदियां हटने पर भी पटरी पर नहीं लौटी परिवहन सेवा
कोरोना की पाबंदियां हटने के बावजूद हिमाचल में परिवहन सेवा पटरी पर नहीं लौट पाई है। निजी बस आपरेटर रोजाना 800 से 1000 बसें ही चला रहे हैं जबकि हिमाचल पथ परिवहन निगम का आंकड़ा भी 2000 से आगे नहीं बढ़ा है।
शिमला, राज्य ब्यूरो। कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए लगाई पाबंदियां हटने के बावजूद हिमाचल में परिवहन सेवा पटरी पर नहीं लौट पाई है। राज्य सरकार से तमाम रियायतें स्वीकृत करवाने के बाद भी निजी बस आपरेटर रोजाना 800 से 1000 बसें ही चला रहे हैं, जबकि हिमाचल पथ परिवहन निगम का आंकड़ा भी 2000 से आगे नहीं बढ़ा है। सरकारी एवं निजी बसों का कुल बेड़ा 6600 हैं। इनमें से आधी बसें भी सड़कों पर नहीं दौड़ रही हैं। इससे लोगों को उचित परिवहन सेवाएं नहीं मिल पा रही है। सबसे अहम है कि इसकी निगरानी भी नहीं हो रही है।
कोविड निर्देशों का उल्लंघन
सरकार ने कुल क्षमता की 50 फीसद सवारियां ले जाने की अनुमति दे रखी है, लेकिन सरकारी और निजी दोनों तरह की बसों में इस शर्त की पालना नहीं हो रही है। सवारियां न केवल सौ फीसद बिठाई जा रही है बल्कि खड़े होकर यात्रा करने की भी खुलेआम अनुमति दी गई है। चालक, परिचालक मास्क या तो पहन नहीं रहे या फिर गलत ढंग से पहन रहे हैं। यह दृश्य बसों में आम हैं। परिचालक किसी को बैठने से रोकते नहीं और लोग भी नियम की अनदेखी कर सफर कर रहे हैं।
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50 फीसद की शर्त तो कोई मायने नहीं रखती है, क्योंकि सब कुछ तो सरकार ने खोल दिया है। सरकार ने वर्किंग कैपिटल की अधिसूचना जारी की है, पर अभी तक यह योजना भी धरातल पर नहीं उतर पाई है। टैक्स माफी 50 फीसद की है। इसे 100 फीसद किया जाए। आर्थिक तंगी के कारण सारी बसें नहीं चला पा रहे हैं।
-राजेश पराशर, प्रदेशाध्यक्ष, निजी बस आपरेटर संघ।
50 फीसद की शर्त का पालन करने का निर्देश हैं। अब तक सरकार ने 100 फीसद आक्युपेंसी के साथ बसें चलाने का निर्देश जारी नहीं किया है। जैसे ही सरकार के नए निर्देश आएंगे, उनका पालन किया जाएगा।
-पंकज ङ्क्षसघल, महाप्रबंधक, एचआरटीसी।