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बिना लाइसेंस क्लीनिक चलाने पर तीन साल की कैद और एक लाख जुर्माना

बिना लाइसेंस क्लीनिक चलाने वाले पपरोला के व्यक्ति को तीन साल का कारावास व एक लाख रुपये जुर्माने की सजा सुनाई है। ड्रग इंस्पेक्टर को शिकायतें मिल रहीं थी कि बीड़ में बिना लाइसेंस लोगों के स्वास्थ्य की जांच हो रही है।

By Vijay BhushanEdited By: Published: Fri, 26 Feb 2021 05:51 PM (IST)Updated: Fri, 26 Feb 2021 05:51 PM (IST)
बिना लाइसेंस क्लीनिक चलाने पर तीन साल की कैद और एक लाख जुर्माना
अदालत से जुड़ा प्रतीकात्मक फोटो। जागरण आर्काइव

धर्मशाला, जागरण संवाददाता : बिना लाइसेंस क्लीनिक चलाने वाले पपरोला के व्यक्ति के खिलाफ दोष सिद्ध होने परअदालत ने दोषी को तीन साल का कारावास व एक लाख रुपये जुर्माने की सजा सुनाई है।

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जिला न्यायवादी राजेश वर्मा ने बताया कि ड्रग इंस्पेक्टर को शिकायतें मिल रहीं थी कि बीड़ में बिना लाइसेंस एक व्यक्ति लोगों के स्वास्थ्य की जांच कर रहा है। शिकायत पर कार्रवाई करते हुए ड्रग इस्पेक्टर आशीष रैणा ने 12 मार्च, 2010 को तिब्बतियन कालोनी के पास सरस्वत क्लीनिक में दबिश दी। इस दौरान क्लीनिक से 11 प्रकार के एलोपैथी दवाएं बरामद हुईं। यह दवाएं अधिकतर सभी सामान्य बीमारियों के लिए थीं। इस दौरान क्लीनिक संचालक से लाइसेंस मांगा गया था। संचालक बिहारी लाल निवासी पपरोला ने तर्क दिया कि उसके पास इंडियन बोर्ड ऑफ अल्टरनेटिव मेडिसन का सर्टिफिकेट है। इसी के आधार पर वह फैक्टरियों से दवाईयां मंगवाता है और यहां लोगों को बेचता है। इसके अलावा व्यक्ति किसी भी तरह का कोई सर्टिफिकेट नहीं था।

बिना लाइसेंस व बिल के दवाएं बेचने पर व्यक्ति के खिलाफ पुलिस थाना बैजनाथ में 18-सी ड्रग कॉस्मेटिक एक्ट 1940 के तहत केस दर्ज किया गया। ड्रग इस्पेक्टर व पुलिस जांच के बाद केस विशेष जज एवं जिला सत्र न्यायधीश जेके शर्मा की अदालत में पहुंचा।

न्यायालय में अभियोजन पक्ष की ओर से पेश किए गए तीन गवाहों व ड्रग इस्पेक्टर आशीष रैणा की रिपोर्ट के आधार पर न्यायालय ने दोषी बिहारी लाल को तीन साल का कारावास व एक लाख रुपये जुर्माना की सजा सुनाई है।


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