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औषधीय गुणों से भरपूर है यह पीले रंग का फूल, बढ़ाता है रोग प्रतिरोधक क्षमता, कमाई का भी जरिया

Medicinal Properties Flower हमारे आस पास कई ऐसे फल-फूल और औषधीय पौधे हैं जिनको हम जानते तो हैं। लेकिन उनके औषधीय गुणों से अनजान हैं। ऐसे ही है झाडि़यों में उगने वाला पीले रंग का पीयां का फूल।

By Rajesh Kumar SharmaEdited By: Published: Thu, 04 Mar 2021 07:12 AM (IST)Updated: Thu, 04 Mar 2021 02:45 PM (IST)
औषधीय गुणों से भरपूर है यह पीले रंग का फूल, बढ़ाता है रोग प्रतिरोधक क्षमता, कमाई का भी जरिया
हिमाचल में पाया जाने वाला पीले रंग के पीयां के फूल तोड़ते लोग।

मंडी, मुकेश मेहरा। हमारे आस पास कई ऐसे फल-फूल और औषधीय पौधे हैं, जिनको हम जानते तो हैं। लेकिन उनके औषधीय गुणों से अनजान हैं। ऐसे ही है झाडि़यों में उगने वाला पीले रंग का पीयां का फूल। औषधीय गुणों से भरपूर यह फूल व इसकी झाड़ियां लकवे जैसी बीमारी से बचाता है और हमारे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी बढ़ाते हैं। झाड़ियों व खेतों के आस पास उगने वाले इस फूल में एस्कॉर्बिक एसिड भरूपर मात्रा में होता है, जो विटामिन ए और सी का प्रमुख स्रोत है। इसके खाने में प्रयोग से लोग लकवा, खसरा  जैसे रोग से बच सकते हैं। वहीं घांव पर इसका लेप लगाने से जल्‍द स्‍वास्‍थ्‍य लाभ मिलता है। इसका वानस्पतिक नाम रीनवार्डिया इंडिका है।

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1800 मीटर की ऊंचाई पर मिलने वाला यह फूल हिमाचल प्रदेश के लगभग हर क्षेत्र में होता है, लेकिन इसके औषधीय गुणों से लोग अनजान हैं। यही कारण है कि इसको पूजा आदि के लिए इस्तेमाल करने के बाद फेंक दिया जाता है, जबकि यह औषधीय गुणों से भरपूर है।

इनका प्रयोग कचारू, परांठा और भल्ले बनाने में होता है। इन्‍हें सूखाकर भी रखा जाता है ताकि पूरे वर्ष इसका प्रयोग हो सके। पीयां के फूल में विटामिन ए और सी भी प्रचूर मात्रा में होती है। जनवरी के अंतिम सप्‍ताह से यह फूल बसंत तक खिलने आरंभ हो जाते हैं। आम तौर पर लोग इनका प्रयोग मंदिरों में पूजा पाठ और भगवान को चढ़ाने के लिए ही करते हैं, लेकिन अगर इसका प्रयोग खाने में किया जाए तो यह हमारे लिए रामवाण साबित हो सकता है। हालांकि ग्रामीण क्षेत्रों में कुछ जगह यह खाने के लिए प्रयोग किया जाता है।

कैसे है गुणकारी

पीयां के फूलों की टहनियां लकवे के रोग के उपचार के लिए इस्तेमाल होती हैं। फूलों में पाया जाने वाला एस्कॉर्विक शरीर में एंटीऑक्सीट की तरह काम करता है या हमारी कोशिकाओं को युवा रखने में सहायक होता है। इसकी पत्तियों का काढ़ा बनाकर गरारे करने से गले में होने वाले विकार भी दूर हो जाते हैं। इसकी पत्तियों व तने से बना लेप संक्रमित घावों को ठीक करता है। जीभ साफ करने के लिए भी इसकी पत्तियों को चबाना लाभकारी होता है। यही नहीं कपड़ों को रंगने में भी इसके पीले रंग का प्रयोग होता है।

कचरू बनाने की विधि

पीयां के फूलों, हरी पत्तियों को धनियां लहसुन व मेथी, हरी मिर्च, मसाले और बेसन के आटे के साथ मिलाकर इसको पेस्ट की तरह बनाया जाता है। इसके बाद इसे तवे पर तेल में डाकर तला जाता है। यह कचरू की तरह बनते हैं। यही नहीं आटे, कटे हुए प्याज आदि के साथ इसके परांठे बनाकर भी खाया जा सकता है।

आर्थिकी भी बन सकती है मजबूत

अगर लोग इस फूल को एकत्रित कर इसके खाद्य पदार्थ बनाएं या इसे सूखाकर बेचें तो यह आर्थिक रूप से भी लोगों को मजबूत बना सकता है।

औषधीय गुणों से भरपूर : डाक्‍टर तारा सेन

कलस्‍टर विश्‍वविद्यालय मंडी वनस्‍पति विज्ञान की सहायक प्रोफेसर डाक्‍टर तारा सेन ठाकुर का कहना है पीयां के फूल औषधीय गुणों से भरपूर हैं। लोगों को इसकी जानकारी न होने के कारण वह इनका इस्तेमाल नहीं करते। इसको खाने में शामिल करने से हमारे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, साथ ही लकवे और खसरा आदि बीमािरयों के खिलाफ भी यह कारगर है।


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