दिग्गजों की चुप्पी से प्रत्याशी हक्के बक्के
विश्लेषण प्रवीण कुमार शर्मा ज्वालामुखी ज्वालामुखी में नगर निकाय चुनाव को चार दिन शेष है
विश्लेषण प्रवीण कुमार शर्मा, ज्वालामुखी
ज्वालामुखी में नगर निकाय चुनाव को चार दिन शेष हैं। कुल सात वार्डो में चुनाव अभियान पूरे उफान पर है। भाजपा तथा कांग्रेस दोनों ने अपने अपने उम्मीदवार चुनावी मैदान में उतार दिए हैं, लेकिन चुनाव की तारीख बेहद नजदीक होने के बावजूद बड़े नेताओं की चुप्पी रहस्य बन गई है। वार्डो में आमने सामने उम्मीदवार खुद को भाजपाई व कांग्रेसी बता रहे हैं, लेकिन बड़े नेताओं के मुंह से एक भी बार अपने उम्मीदवारों के लिए वोट की अपील नहीं की गई है। यहां के सातों वार्डो में से पांच पर ही भाजपा अपने अधिकृत उम्मीदवार उतार सकी है। उम्मीदवारों की आस बड़े नेताओं पर टिकी है, ताकि किसी तरह उनकी नैय्या पार लग जाए, लेकिन बड़े नेता 2022 के विधानसभा चुनाव को देख खुद को निकाय चुनाव से दूर रखे हुए हैं।
उधर, 23 साल से नगर निकाय चुनाव में अपनी जीत का परचम फहराने वाली कांग्रेस में भी सब कुछ सही नहीं चल रहा है। अंतर्कलह की शिकार कांग्रेस में हालांकि सातों वार्डो से उम्मीदवार मैदान में हैं, लेकिन पूर्व विधायक संजय रत्न के सहारे वार्डो में कांग्रेसी ही आमने सामने हैं, वार्ड नंबर दो से संजय रत्न के बेहद खास माने जाने वालों में से एक धर्मेद्र शर्मा व कांग्रेस से ही ताल्लुक रखने वाले पुजारी नितिन शर्मा के बीच कांटे की टक्कर है।
वार्ड नंबर चार से कांग्रेस अपनों से उलझ रही है। नगर परिषद के दो पूर्व उपाध्यक्ष अनीश सूद व सुखदेव शर्मा के साथ पुजारी मनु शर्मा भी संजय रत्न के समर्थकों में से हैं, यहां पर कांग्रेस की कांग्रेस से टक्कर दिलचस्प बनी हुई है। वार्ड नंबर सात में भी हालांकि भाजपा के आशुतोष कपूर मैदान में हैं, लेकिन यहां भी कांग्रेस के ही दो उम्मीदवार शिव कुमार गोस्वामी व पवन गोस्वामी आमने सामने हैं। संजय रत्न की चुप्पी से नींद उड़ी
नगर परिषद के वार्ड नंबर चार पर सबकी निगाहें टिकी हुई हैं। यहां पर तीनों उम्मीदवार कांग्रेस के समर्थक हैं, लेकिन पूर्व विधायक संजय रत्न का हाथ किस पर है खुद उम्मीदवार भी नहीं समझ रहे। संजय रत्न चुप हैं, वहीं प्रत्याशियों की धुकधुकी बढ़ रही है। सभी प्रत्याशी खुद को जनता के बीच संजय रत्न का खासमखास बता रहे हैं, लेकिन संजय का हाथ किस पर है किसी को पता नहीं है। इस बार नगर परिषद में सब कुछ चौंकाने वाला होगा, इससे मना नहीं किया जा सकता। सात वार्डो में से जिसके पार्टी के ज्यादा पार्षद जीतेंगे उसी का अध्यक्ष भी नगर परिषद की कुर्सी पर काबिज भी होगा।