शेर था मेरा बेटा, मैं आतंकियों से लड़ने को तैयार
श्रीनगर-बारामुला राजमार्ग पर लावेपोरा में आतंकी हमले में शहीद हुए
संवाद सहयोगी, पालमपुर : श्रीनगर-बारामुला राजमार्ग पर लावेपोरा में आतंकी हमले में शहीद हुए सीआरपीएफ के जवान अशोक कुमार के गांव ही नहीं पूरे इलाके में मातम छाया हुआ है। वह सुलह हलके के काहनफट के गांव के देहरु के रहने वाले थे। बलिदानी का शव शुक्रवार देर रात घर पहुंचने की उम्मीद है। उनका अंतिम संस्कार शनिवार को पूरे राजकीय सम्मान के साथ होगा।
वहीं अपने बेटे की शहादत पर पिता सरवण कुमार को गर्व है। उन्होंने कहा, 'मेरा बेटा शेर था, और वह कभी कहीं पर पीछे नहीं रहता था। पिछले माह वह घर से ड्यूटी पर गया था। मुझे अपने बेटे की शहादत पर गर्व है। उम्र के इस पड़ाव में वह खुद आतंकियों से लड़ने के लिए तैयार हैं। आतंकियों के समूल नाश के लिए अब कड़े कदम उठाए जाने की जरूरत है।' सरवण ने कहा कि वीरवार सुबह बेटे अशोक से बात हुई थी और उसने शाम को खुद फोन करने का वादा किया था। यह भाग्य की विडंबना रही कि उन्हें फोन आया तो लाडले के शहीद होने की खबर लेकर। पत्नी व बच्चों को लेकर घर पहुंचे सीआरपीएफ के जवान
शहीद अशोक की पत्नी, बेटा और बेटी हरियाणा के पिंजौर में रहते हैं। हादसे की सूचना मिलने के बाद सीआरपीएफ के जवान बलिदानी के परिवार को वहां से उनके पैतृक गांव देहरु लाए। एसडीएम धीरा विकास जम्वाल ने बताया कि पिंजौर से आए सीआरपीएफ के जवानों की रहने की व्यवस्था विभिन्न जगहों पर की है। शनिवार सुबह 11 बजे बलिदानी अशोक कुमार का अंतिम संस्कार होगा। उनकी अंतिम यात्रा में विधानसभा अध्यक्ष विपिन परमार सहित प्रशासन व पुलिस अधिकारी मौजूद रहेंगे। सीआरपीएफ के अधिकारी व जवान भी शहीद को श्रद्धांजलि देंगे।
बतौर चालक 73वीं बटालियन में तैनात थे अशोक
अशोक कुमार सीआरपीएफ की 73वीं बटालियन में बतौर चालक तैनात थे। वह अपने पीछे माता-पिता सहित पत्नी सुषमा देवी और बेटा आदित्य और बेटी रिद्धिमा को रोते-बिलखता छोड़ गए हैं। अशोक की शहादत की सूचना मिलने के बाद उनकी माता का रो-रोकर बुरा हाल हो चुका है। बेटे की याद में वह कई बार गश खाकर गिर गई, जिन्हें अन्य महिलाओं ने संभाला।