बाण गंगा में बने घाट तो खुलेंगे रोजगार के द्वार
रितेश ग्रोवर कांगड़ा बनेर खड्ड बाण गंगा के नाम से जानी जाती है। एतिहासिक महत्व हो
रितेश ग्रोवर, कांगड़ा
बनेर खड्ड बाण गंगा के नाम से जानी जाती है। एतिहासिक महत्व होने के बावजूद आज दिन में यहां घाट बनाने की योजना नहीं बन पाई। अगर यहां घाट बनाते है तो रोजगार व स्वरोजगार के अवसर भी युवाओं को मिलेंगे। पंचायत जोगीपुर व नगर परिषद कांगड़ा क्षेत्र से गुजरने वाली बनेर खड्ड को शक्तिपीठ माता श्री बज्रेश्वरी देवी मंदिर आने वाले श्रद्धालुओं के जहन में कितना पवित्र है कि श्रद्धालु बाण गंगा में बिना स्नान किए माता के दर्शनों के लिए नही जाते है। सालभर बाण गंगा में श्रद्धालुओं को स्नान करते हुए देखा जाता है परन्तु क्षेत्र को विकसित व सुंदरीकरण के लिए कोई योजना का खाका तैयार नहीं किया गया, जिससे बाण गंगा क्षेत्र आज तक विकसित नही पाया। बाण गंगा क्षेत्र को पर्यटन विभाग द्वारा श्रद्धालुओं के लिए स्नानगृह का निर्माण भी शुरू करवाया, परन्तु एक दशक बाद भी यह योजना परवान नही चढ़ पाई। बाण गंगा मंदिर से लेकर अच्छरा कुंड तक घाट का निर्माण होने से एक नया पर्यटन क्षेत्र उभर कर सामने आएगा, जिससे सैकड़ों लोगों को नए रोजगार के अवसर मिल सकेंगे। शक्तिपीठ स्थल होने के कारण कांगड़ा में धार्मिक पर्यटकों की कमी नही है। इस क्षेत्र के साथ साथ पुराना कांगड़ा के कुछ क्षेत्र को वर्तमान जिलाधीश कांगड़ा व एसडीएम कांगड़ा ने पर्यटन स्थल के रूप में विकसित के लिए चयन किया था परन्तु अभी तक योजना नही बन पाई है।
-सतीश चौधरी, सदस्य कांगड़ा शिकायत निवारण कमेटी। पर्यटन क्षेत्र के रूप में विकसित होने की बाण गंगा क्षेत्र में अपार संभावनाएं है और इसे विकसित करने के लिए सरकार व प्रशासन को पर्यटन स्थल के रूप में खाका तैयार कर पर्यटन जैसे सुविधाएं देनी चाहिए जिससे क्षेत्र नए पर्यटन स्थल के रूप में विकसित हो सकता है जो कि रोजगार के अवसर भी बढ़ाएगा।
राम दास। पंचायत में डाला जाएगा प्रस्ताव
पंचायत जोगीपुर की प्रधान अंजलि जसवाल का कहना है कि बाण गंगा क्षेत्र पर्यटन क्षेत्र में विकसित करने की योजना है और इस पर जल्द प्रस्ताव पंचायत में पारित किया जाएगा। नगर परिषद में लाया जाएगा प्रस्ताव
नगर परिषद कांगड़ा की अध्यक्ष कोमल शर्मा ने बताया कि पर्यटन क्षेत्र के रूप में कांगड़ा का विकसित होना जरूरी है। धार्मिक पर्यटक बाण गंगा में ज्यादा पहुंचते है और इसे पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जा सकता है। सभी पार्षदों से चर्चा कर परिषद में योजना बनाने का प्रस्ताव लाया जाएगा।
कोरोना महामारी के कारण इस पर बनी रही योजना अटक गई हैं। एडीबी के तहत योजना बनाने का विचार हुआ था। निसंदेह पर्यटन स्थल के रूप में यह क्षेत्र विकसित हो सकता है।
-जतिन लाल, एसडीएम कांगड़ा