कभी नहीं देखी स्कूल की दहलीज फिर भी लिख दी तीन किताबें
धर्मशाला की रहने वाली 95 वर्षीय शारदा देवी कभी स्कूल नहीं गयी लेकिन अपने कुछ करने के जुनून और इच्छाशक्ति से कविताओं के तीन संग्रह लिखे हैं।
धर्मशाला, मनीष गारिया। यह जरूरी नहीं कि सिर्फ पढ़े-लिखे ही कविताएं और किताबें लिख सकते हैं। मन में कुछ करने का जुनून और इच्छाशक्ति हो तो हर काम संभव है। जी हां! इसे साबित कर दिखाया है धर्मशाला हलके के गांव सुक्कड़ की 95 वर्षीय शारदा देवी ने। पढ़ाई तो दूर कभी स्कूल की दहलीज भी न देखने वाली शारदा देवी ने कविताओं के तीन संग्रह लिखे हैं। उनके कविता संग्रह भाषा एवं संस्कृति विभाग ने जिला पुस्तकालयों में मुहैया करवाए हैं।
वर्ष 1914 में सुक्कड़ में प्रोफेसर पंडित बद्रीदत्त के घर जन्मी शारदा देवी ने पढ़ाई नहीं की है। उस दौर में लड़कियों को पढ़ाने का प्रचलन नहीं था। बेटी के पढ़ाई के प्रति लगन को देखकर पिता ने तख्ती पर लिखवाना शुरू करवाया और इतना समक्ष बना दिया कि वह अपनी हर बात को कलम से लिख सके। पिता की ओर से सिखाई गई वर्णमाला इतने काम आई कि शारदा देवी ने सात के दशक में कविताओं के तीन संग्रह लिख डाले।
पहला कविता संग्रह था ‘माता का कवच’, दूसरा ‘पहाड़ी दुर्गा सप्तशती’ और तीसरा ‘पंखुडी’ था। वर्ष 1984 में जब प्रदेश में पंडित संतराम शिक्षा मंत्री बने तो उन्होंने शारदा देवी के कविता संग्रह को भाषा एवं संस्कृति विभाग की स्वीकृति देते हुए जिला पुस्तकालयों में मुहैया करवाया। वयोवृद्ध शारदा देवी भले ही खुद चलने फिरने में सक्षम नहीं हैं लेकिन कविताएं जुबानी याद हैं।
शादी समारोह की शिक्षा भी लिखती थी शारदा देवी
1970 तक शारदा देवी कविताएं लिखने के अलावा शादी-समारोह में पढ़ी जानी वाले शिक्षा भी लिखती
थीं। बेटी करुणा देवी का कहना है कि आज भी उन्हें कई लोगों के फोन आते हैं कि उनकी मां की ओर से
लिखी विवाह शिक्षा उन्होंने फ्रेम कर रखी हैं।
मां की सेवा के लिए शिक्षक बेटी ने छोड़ दी नौकरी
बेटी करुणा देवी ने वृद्ध मां की देखरेख क लिए शिक्षक की नौकरी छोड़ दी है और अब वह धर्मशाला स्थित घर में देखभाल करती हैं। बकौल करुणा, मां के कारण ही उन्हें भी कविताएं लिखने का शौक है और वह भी घर में मां से मार्गदर्शन लेकर कविताएं लिखती हैं।
महिला सशक्तीकरण पर लिखी कविता सुनाई
वयोवृद्ध शारदा देवी को सोमवार को धर्मशाला में महिला साहित्यकार संस्था के राज्यस्तरीय सम्मान समारोह में मुख्यातिथि पूर्व चुनाव आयुक्त हिमाचल प्रदेश केसी शर्मा ने सम्मानित किया। इस दौरान शारदा देवी ने महिला सशक्तीकरण पर लिखी कविता ‘नाम करो बदनाम न उनका, जो भारत की नारी थी, संस्कृति की संरक्षक थी, वह तभी देश को प्यारी थी’ सुनाई।
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