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धर्मशाला में बेरोजगार अध्यापक संघ ने शिक्षा मंत्री पर लगाया बयान से पलटने का अारोप, ऑनलाइन बैठककर बनाई रणनीति

हिमाचल प्रदेश प्रशिक्षित बेरोजगार अध्यापक संघ ने ऑनलाइन बैठक की। बैठक में संघ के प्रदेशाध्यक्ष निर्मल सिंह धीमान वरिष्ठ उपाध्यक्ष विजय सिंह उपाध्यक्ष संजय राणा अजय रत्न महासचिव लाजेश धीमान अतिरिक्त महासचिव लेख राम वित्त सचिव संजीव कुमार तथा प्रेस सचिव प्रकाश चंद ने भाग लिया।

By Richa RanaEdited By: Published: Fri, 16 Jul 2021 02:00 PM (IST)Updated: Fri, 16 Jul 2021 02:00 PM (IST)
हिमाचल प्रदेश प्रशिक्षित बेरोजगार अध्यापक संघ ने ऑनलाइन बैठक की।

धर्मशाला, जागरण संवाददाता। हिमाचल प्रदेश प्रशिक्षित बेरोजगार अध्यापक संघ ने ऑनलाइन बैठक की। बैठक में संघ के प्रदेशाध्यक्ष निर्मल सिंह धीमान, वरिष्ठ उपाध्यक्ष विजय सिंह, उपाध्यक्ष संजय राणा, अजय रत्न, महासचिव लाजेश धीमान, अतिरिक्त महासचिव लेख राम, वित्त सचिव संजीव कुमार तथा प्रेस सचिव प्रकाश चंद ने भाग लिया। उन्होंने साझा बयान में कहा कि शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह ठाकुर ने विधानसभा में दिए गए अपने ही बयान को पलट कर लोकतंत्र को खतरे में डाल दिया है।

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 शिक्षा मंत्री ने बजट सत्र के दौरान विधानसभा में यह बयान दिया था कि सुप्रीम कोर्ट ने एसएमसी शिक्षकों को नियमित करने के लिए नहीं कहा है तथा सरकार इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का पालन करेगी। अब शिक्षा मंत्री कह रहे हैं कि एसएमसी शिक्षकों के लिए सरकार जल्द नई नीति बनाएगी। उन्होंने कहा कि एसएमसी शिक्षकों के लिए 17 जुलाई 2012 को धूमल सरकार नीति बना चुकी है। जिसकी चर्चा सुप्रीम कोर्ट द्वारा 24-11-2020 के फैसले में हो चुकी है।

इन शिक्षकों के लिए दूसरी नीति बनाना असंवैधानिक है। जितने भी भर्ती नियम बनते हैं। वह संविधान की धारा 309 के अनुसार बनते हैं। भर्ती नियमों के अनुसार नियमित शिक्षको की भर्ती या तो कमिशन से हो सकती या बैचवाइज हो सकती है। तीसरा कोई विकल्प नहीं है। जयराम सरकार बिना कमिशन और बिना बैचवाइज भर्ती करके सरकारी स्कूलों में शिक्षा की गुणवत्ता को तार-तार कर रही है। इससे किसानों, मजदूरों और बेरोजगारों के बच्चों का जीवन बर्बाद हो जाएगा। बिना कमीशन और बिना बैचवाइज भर्ती होने के कारण 1998 और 1999 बैच के पात्र उमीदवार अभी भी बेरोजगार हैं। दूसरी तरफ 2000 बैच के तथा उसके बाद के उमीदवार चोर दरबाजे से नौकरी ले गए हैं।

सरकार जनता को गुमराह कर रही है कि 2555 एसएमसी शिक्षक दुर्गम क्षेत्रों में सेवाऐं दे रहे हैं। सच तो यह है कि 2555 एसएमसी शिक्षक प्रदेश के सभी जिलों में तैनात हैं। एक आरटीआइ के अनुसार पता चला है कि 792 एसएम सी लैक्चरर में से 582 लैक्चरर गैर कवाइली क्षेत्रों में सेवाएं दे रहे हैं। पैट और जीबीयू शिक्षक इसलिए सुप्रीम कोर्ट में जीत गए थे क्योंकि उनके केस में भर्ती के समय प्रशिक्षित शिक्षक नहीं थे। इसके उपरांत मुख्य याजिका कर्ता सीएम नेगी भर्ती के समय प्रशिक्षित नहीं था। एसएम सी केस में ऐसा नहीं है। इसलिए एसएमसी का फैसला बेरोजगारों के पक्ष में आया है।

पिछले बीस साल में 15000 शिक्षक भर्ती किए जा चुके हैं जिसमें एक भी भर्ती नियमानुसार बैचवाइज नहीं की गई है। यही कारण है कि बेरोजगार 23 साल से इन 15000 शिक्षकों की भर्तियों में बैचवाइज भर्ती का इंतजार कर रहे हैं। इन हजारों हजारों बेरोजगारों की सरकार ने संविधान की अवमानना करके जिदंगिया तबाह कर दी हैं। वीरभद्र सरकार, धुमल सरकार और जयराम सरकार को संविधान की शपथ नहीं लेनी चाहिए थी क्योंकि इन्होंने अपने चहेतों को लाभ देने के लिए संविधान की धज्जियां उड़ा रखीं हैं। यहां तक कि जयराम सरकार सुप्रीम कोर्ट के फैसले को चुनौती दे रही है। लोकतंत्र खतरे में डाल दिया है।


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