आपकी याददाश्त बढ़ाएगी टी वाइन, हृदयाघात से बचाएगी; जानिए और भी कई फायदे Kangra News
Tea Wine अक्सर उम्र बढऩे के साथ-साथ भूलने की बीमारी घर कर जाती है पर अब इसे आप बाय-बाय बोल सकते हैं। यह संभव हुआ है कांगड़ा चाय से बनी टी वाइन से।
पालमपुर, शारदाआनंद गौतम। अक्सर उम्र बढऩे के साथ-साथ भूलने की बीमारी घर कर जाती है पर अब इसे आप बाय-बाय बोल सकते हैं। यह संभव हुआ है कांगड़ा चाय से बनी टी वाइन से। हिमालय जैवसंपदा प्रौद्योगिकी संस्थान (आइएचबीटी) पालमपुर के विज्ञानियों ने कांगड़ा चाय से टी वाइन बनाने की तकनीक तैयार की है। साथ ही संस्थान ने पश्चिम बंगाल की कंपनी कैमेलिया बीवरेजेस प्राइवेट लिमिटेड के साथ करार किया है। टी वाइन बनाने के लिए करीब एक वर्ष का समय लगता है और इसे जल्द बाजार में उतारा जाएगा। इस तकनीक से निवेशकों को आकर्षित करने के लिए संस्थान ने एक हजार लीटर क्षमता वाली मशीनरी अपने पास रखी है।
ऐसे तैयार होती है टी वाइन
कांगड़ा चाय को पहले हल्के तौर पर उबाला जाता है और इसके बाद यीस्ट मिलाया जाता है। इस दौरान चाय में अल्कोहल की मात्रा बनती है, जिसे निर्धारित कर मिठास को नियंत्रित किया जाता है। इसके बाद करीब एक साल तक इसे रखा जाता है। इस अवधि में टी वाइन में खुशबू तैयार होती है और इसे इस्तेमाल भी किया जा सकता है। एक दिन में 120 मिलीलीटर टी वाइन का सेवन किया जा सकता है।
ये हैं खूबियां
टी वाइन हृदयाघात रोकने में भी मददगार होती है। शुगर से पीडि़त लोग भी इसका प्रयोग कर सकते हैं। साथ ही ठंड से बचाव के लिए भी टी वाइन कारगर रहती है। जिन लोगों को भूलने की बीमारी होती है उनके लिए यह बड़ी कारगर है।
600 से 700 रुपये है बोतल की कीमत
टी वाइन की अमेरिका में खासी मांग है और 302 यूएसडी बिलियन का कारोबार है। टी वाइन की बोतल को तैयार करने में लागत करीब 100 रुपये आती है और बाजार में इसे 600 से 700 रुपये में बेचा जाता है।
यहां होती है कांगड़ा चाय की पैदावार
हिमाचल प्रदेश में कांगड़ा चाय की पैदावार कांगड़ा, मंडी और चंबा जिलों के कुछ हिस्सों में होती है। सबसे अधिक कांगड़ा चाय धर्मशाला, पालमपुर और बैजनाथ उपमंडलों में होती है। मंडी के जोगेंद्रनगर और चंबा के भटियात उपमंडल में भी बागवान इसे तैयार करते हैं। आइएचबीटी पालमपुर ने कांगड़ा चाय को प्रोमोट करने के लिए वेल्यू एडिशन के बाद विभिन्न प्रकार के उत्पाद तैयार किए हैं।
यह कहा हृदय रोग विशेषज्ञ ने
टी वाइन याददाश्त बढ़ाने के साथ-साथ हृदयाघात रोकने में भी अहम भूमिका निभाती है। कोलेस्ट्रॉल हार्ट अटैक के दौरान प्रमुख भूमिका निभाता है। ऐसे में दवा के तौर पर ली गई टी वाइन हृदय में कोलेस्ट्रॉल जमने नहीं देती है और उसे मूवमेंट में रखती है। टी वाइन में एंटी ऑक्सीडेंट अधिक रहता है और यह निसंदेह कई रोगों से बचाता है। लिहाजा तीस से साठ एमएल वाइन पीने की सलाह दी जाती है। -डॉ. आदर्श भार्गव, हृदय रोग विशेषज्ञ, विवेकानंद मेडिकल रिसर्च ट्रस्ट पालमपुर।
टी वाइन में एंटी ऑक्सीडेंट समेत अल्कोहल होगी और इस कारण यह विभिन्न बीमारियों से लडऩे में मदद करेगी। कांगड़ा चाय का जो सेकेंडरी भाग है, उसका प्रयोग ही टी वाइन तैयार करने में किया जाता है। करीब 10 वर्ष की मेहनत के बाद ही इसे तैयार किया है। -डॉ. संजय कुमार, निदेशक, हिमालय जैवसंपदा प्रौद्योगिकी संस्थान पालमपुर।