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कर-कर्ज घोटाला : बैंकों की भूमिका जांच रही सीबीआइ

कर-कर्ज घोटाले में करोड़ों रुपये डकार चुकी इंडियन टेक्नोमेक कंपनी अब पर चौतरफा कानूनी शिकंजा कस रहा है। 16 बैंकों के 1528 करोड़ के कर्ज घोटाले में सीबीआइ बैंकों की भूमिका भी जांच रही है। बैंकों के समूहों ने आंतरिक जांच में अधिकारियों व कर्मचारियों को क्लीनचिट दे रखी है।

By Virender KumarEdited By: Published: Sat, 06 Nov 2021 06:30 AM (IST)Updated: Sat, 06 Nov 2021 07:41 AM (IST)
कर-कर्ज घोटाला : बैंकों की भूमिका जांच रही सीबीआइ
कर-कर्ज घोटाला में सीबीआइ बैंकों की भूमिका जांच रही है। जागरण आर्काइव

शिमला, राज्य ब्यूरो। कर-कर्ज घोटाले में करोड़ों रुपये डकार चुकी इंडियन टेक्नोमेक कंपनी अब पर चौतरफा कानूनी शिकंजा कस रहा है। 16 बैंकों के 1528 करोड़ के कर्ज घोटाले में सीबीआइ बैंकों की भूमिका भी जांच रही है। बैंकों के समूहों ने आंतरिक जांच में अपने अधिकारियों व कर्मचारियों को क्लीनचिट दे रखी है। इस जांच में कहा है कि कर्ज बांटने में किसी प्रकार की अनियमितताएं नहीं बरती गई। अगस्त में सीबीआइ की दिल्ली शाखा ने केस दर्ज किया है। मामले की प्रारंभिक जांच हिमाचल की सीआइडी ने की है। वर्ष 2016 में केस दर्ज किया था। बाद में दो मामले और दर्ज हुए। मुख्य आरोपित दिल्ली निवासी आरके शर्मा विदेश में है। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) आरोपित आरके शर्मा, कंपनी के निदेशक हिमाचल के कांगड़ा निवासी विनय कुमार की 288 करोड़ की संपत्ति अटैच कर चुकी है। गौर रहे कि हिमाचल की आबकारी एवं कराधान विभाग की इकोनामिक इंटेलीजेंस यूनिट ने 2014 में इंडियन टेक्नोमेक कंपनी की गड़बडिय़ां पकड़ी थी।

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कब हुई गिरफ्तारी

23 दिसंबर 2019 को आरोपित को दुबई में इंटरपोल ने गिरफ्तार किया था। आरोप है कि आरके शर्मा ने विदेश में भी कई जगहों पर संपत्ति बनाई है। उसके इंडोनेशिया में खदान हैं। हिमाचल से डकारा पैसा उसने विदेश में निवेश किया है।

क्या हैं आरोप

आरोप है कि कंपनी के प्रबंधकों और प्रमोटरों ने 2008 से 2013 के बीच साजिश के तहत ऋण खातों से 1528.05 करोड़ की रकम दूसरे खातों में ट्रांसफर कर दी। आरबीआइ के दिशा निर्देशों के अनुसार, बकाया धनराशि के कारण 31 मार्च 2014 को बैंक ऑफ इंडिया में खाता गैर निष्पादित (एनपीए) घोषित हुआ।

इन बैंकों का डकारा पैसा

बैंकों के साथ धोखाधड़ी करने के लिए आरोपितों ने गहरी साजिश रची। बैंक ऑफ इंडिया के नेतृत्व वाले 16 बैंकों के समूह को 1528.05 करोड़ रुपये का नुकसान पहुंचाया। बैंकों के समूह में बैंक आफ इंडिया, यूनियन बैंक आफ इंडिया, आंध्र बैंक, पंजाब एंड ङ्क्षसध बैंक, इंडियन ओवरसीज बैंक, स्टेट बैंक आफ हैदराबाद, सेंट्रल बैंक आफ इंडिया, कारपोरेशन बैंक, एचडीएफसी बैंक लिमिटेड, ओरिएंटल बैंक आफ कामर्स, सारस्वत को-ऑपरेटिव बैंक, स्टेट बैंक आफ पटियाला, यूको बैंक, इलाहाबाद बैंक, स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक एवं डीबीएस शामिल हैं।


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