टांडा मेडिकल कालेज टीचर्स एसोसिएशन ने पंजाब की तर्ज पर मांगा एनपीए व वेतन
Tanda Medical College Teacher Association टांडा मेडिकल कालेज टीचर्स एसोसिएशन (टेमकाट) ने हिमाचल सरकार से कुछ मांगें उठाई हैं। एसोसिएशन ने पंजाब सरकार की तर्ज पर एनपीए व वेतन की मांग की है। टांडा में मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के दौरे के दौरान टेमकाट ने इस मुद्दे को प्रमुखता से उठाया।
टांडा, जागरण संवाददाता। Tanda Medical College Teacher Association, टांडा मेडिकल कालेज टीचर्स एसोसिएशन (टेमकाट) ने पंजाब की तर्ज पर एनपीए व वेतन की मांग की है। बुधवार देर शाम डाक्टर राजेंद्र प्रसाद मेडिकल कालेज एवं अस्पताल कांगड़ा स्थित टांडा में मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के दौरे के दौरान टेमकाट ने इस मुद्दे को प्रमुखता से उठाया। अध्यक्ष डाक्टर मुकुल भटनागर की अध्यक्षता में मिले। टेमकाट के पदाधिकारियों ने कहा कि पंजाब में चिकित्सकों को नान प्रेक्टिसिंग भत्ता 25 प्रतिशत मिलता है, जबकि हिमाचल में इसे 20 प्रतिशत कर दिया गया है। नए वेतन आयोग की अधिसूचना में बेसिक पे प्लस एनपीए वेतन की अधिकतम सीमा 2,18,600 रुपये निश्चित कर दी गई है, जबकि पंजाब में यही सीमा 2,37,600 रुपये निर्धारित है।
उनका कहना था कि हिमाचल प्रदेश स्वास्थ्य के क्षेत्र में पंजाब से बहुत बेहतर है और यहां की भौगोलिक परिस्थितियां भिन्न हैं। टेमकाट ने मांग की कि इस वेतन विसंगति को दूर कर बेसिक पे प्लस एनपीए की अधिकतम सीमा पंजाब की तर्ज पर ही चिकित्सकों के लिए 2,37,600 रुपये की जाए।
टेमकाट ने यह भी मांग उठाई की सातवें वित्त आयोग में केंद्र सरकार ने अधिसूचना जारी होने के दिन तक चिकित्सकों को 25 प्रतिशत एनपीए दिया, उसी तर्ज पर हिमाचल प्रदेश में भी चिकित्सकों को पहली जनवरी से एनपीए दिया जाना चाहिए।
टेमकाट का कहना था कि मेडिकल कालेजों में एसोसिएट प्रोफेसर और प्रोफेसर के पदों पर सीधी भर्ती पर रोक लगाई जाए। यह पद प्रदेश में कार्यरत सहायक प्रोफेसर की पदोन्नति के आधार पर ही भरे जाएं। इससे प्रदेश के मेडिकल कालेजों में विकट परिस्थितियों में सेवाएं दे रही फैकल्टी का मनोबल बढ़ेगा और उन्हें पदोन्नति के भी अवसर प्राप्त होंगे। इससे सरकार पर भी कोई अतिरिक्त वित्तीय बोझ भी नहीं पड़ेगा। उनका कहना था कि प्रदेश में कार्यरत विशेषज्ञों को 7000 रुपये पीजी अलाउंस दिया जाता है, जबकि मेडिकल कालेजों में कार्यरत फैकल्टी को ऐसा कोई भत्ता नहीं दिया जाता। उनका कहना था कि मेडिकल कालेजों में फैकल्टी कई तरह के शोध कार्य करते हैं। उनका प्रकाशन जर्नल में होता है, लेकिन इसके लिए उन्हें जेब से खर्च करना पड़ता है।
उन्होंने मेडिकल कालेजों में फैकल्टी को फैकल्टी को 20,000 प्रतिमाह अकादमिक भत्ता दिए जाने की मांग उठाई। उनका कहना था कि यह विशेषज्ञों की कौशल वृद्धि में उपयोगी सिद्ध होगा। टेमकाट का कहना था कि कोरोना महामारी के दौर में विशेषज्ञ सरकार के साथ हर विकट परिस्थिति में खड़े रहे। कोरोना संक्रमितों के उपचार में खुद को झोंक दिया। टेमकाट ने मुख्यमंत्री से वेतन विसंगतियों को दूर करने की मांग की। इस दौरान टेमकाट के उपाध्यक्ष डा. अमित जोशी, महासचिव डा. स्वतंत्र गुप्ता, संयुक्त सचिव डा. सुषमा स्वराज, कोषाध्यक्ष डा. पीयूष गौतम, प्रेस सचिव डा. सुमन सिंह, कार्यकारी सदस्य डा. विपन कुमार, डा. पुनीत शर्मा, डा. बिक्रम शाह व डा. हर्षबर्धन सिंह भी उपस्थित रहे।