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स्वास्थ्य लाभ के लिए धर्मशाला आए थे स्वामी विवेकानंद, जहां बिताए थे 11 दिन; आज भी हैं साक्ष्‍य मौजूद

Swami Vivekananda Birth Anniversary भारतीय चेतना के ध्वजवाहक स्वामी विवेकानंद धर्मशाला में 11 दिन रहे थे। बेशक कुटलैहड़ के राजपरिवार की धर्मशाला स्थित हरी कोठी इस बात की साक्षी है कि स्वामी विवेकानंद यहां ठहरे थे शासन या प्रशासन के स्तर पर ऐसा कोई अभिलेख नहीं है

By Rajesh Kumar SharmaEdited By: Published: Tue, 12 Jan 2021 09:48 AM (IST)Updated: Tue, 12 Jan 2021 11:08 AM (IST)
स्वास्थ्य लाभ के लिए धर्मशाला आए थे स्वामी विवेकानंद, जहां बिताए थे 11 दिन; आज भी हैं साक्ष्‍य मौजूद
स्वामी विवेकानंद धर्मशाला में 11 दिन रहे थे।

धर्मशाला, नवनीत शर्मा। Swami Vivekananda Birth Anniversary, भारतीय चेतना के ध्वजवाहक स्वामी विवेकानंद धर्मशाला में 11 दिन रहे थे। बेशक कुटलैहड़ के राजपरिवार की धर्मशाला स्थित हरी कोठी इस बात की साक्षी है कि स्वामी विवेकानंद यहां ठहरे थे, शासन या प्रशासन के स्तर पर ऐसा कोई अभिलेख नहीं है जो साफ तौर पर उस कालखंड पर और प्रकाश डाले कि वह किससे मिले, क्या संवाद हुआ। कुछ पुस्तकों ने पंजाब हिल्स अथवा धर्मशाला का जिक्र अवश्य किया है, कुछ अल्मोड़ा के बाद बरेली और वहां से अमृतसर, लाहौर, कश्मीर, जम्मू या मढ़ी (अब पाकिस्तान में) का जिक्र किया है। मजे की बात यह है स्वामी विवेकानंद के पत्र ही इस घटाटोप में रोशनी देते हैं। अन्यथा शिलालेख भी भ्रमित करते हैं।

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हरी कोठी के बाहर एक पत्थर पर उकेरे शब्दों के अनुसार विवेकानंद ने 1887 में धर्मशाला का भ्रमण किया। उनके साथ शिमला के सेवियर दंपती भी थे। यह सूचना तत्कालीन मुख्य सचिव एमएस मुखर्जी की ओर से उकेरी गई है। लेकिन स्वामीजी के अपने शिष्यों अथवा परिचितों को लिखे पत्रों से वर्ष 1897 की पुष्टि होती है। 1902 में स्वामी जी ने शरीर छोड़ दिया था। रामकृष्ण मिशन के प्रचार-प्रसार के लिए प्रयासरत रहने के दौरान उनका स्वास्थ्य बिगडऩे लगा था। नतीजतन उन्हेंं पहाड़ी जलवायु में रहने के परामर्श दिए जाते थे।

स्वामी विवेकानंद ने पांच मई, 1897 को भगिनी निवेदिता यानी मिस मार्गरेट नोबल को लिखे पत्र में कहा था, 'मैं बहुत कुछ दिनों बाद हिमालय जाऊंगा जहां के हिमाच्छादित वातावरण में विचार और स्पष्ट होंगे...बजाय अभी के मेरे विचारों के... जब मैं मैदानी क्षेत्र में हूं।Ó

इसकी पुष्टि उनके किसी शिष्य शशि को अमृतसर या अंबाला से लिखे पत्र में भी होती है जिसमें उन्होंने जल्द ही धर्मशाला जाने की बात कही है। यह पत्र 19 अगस्त, 1897 का है। उनकी धर्मशाला यात्रा पर पूरी मुहर उनके राखाल नामक व्यक्ति को लिखे पत्र में लगती है जिसमें उन्होंने कहा, 'मैं कुछ दिन धर्मशाला के पहाड़ों में काट कर आया हूं और मेरे स्वास्थ्य में बहुत सुधार है।Ó यह पत्र दो सितंबर, 1897 का है। यानी स्वामी विवेकानंद धर्मशाला में 19 अगस्त 1897 और दो सितंबर, 1897 के बीच आए और रहे।

सेवानिवृत्त राज्य निर्वाचन आयुक्त और विवेकानंद के समग्र साहित्य से जुड़े केसी शर्मा कहते हैं, 'पत्थर पर उकेरा वर्ष 1887 सही प्रतीत नहीं होता क्योंकि स्वामीजी 1897 में आए थे। इसी प्रकार एक पत्र में उन्होंने कहा है कि मैं धर्मशाला में श्री बख्शी के घर ठहरूंगा। अब यह पता कर पाना कठिन है कि वह सोहन लाल बख्शी थे या कोई और बख्शी। इसी तरह हरी कोठी 1905 के भीषण भूकंप से पहले कैसी थी, यह कहना कठिन है क्योंकि धर्मशाला की हर इमारत भूकंप की जद में आई थी और हर निर्माण दोबारा हुआ है।Ó अंतत: कोलकाता के अद्वैत आश्रम से प्रकाशित पुस्तक 'द लाइफ ऑफ स्वामी विवेकानंदÓ में यह पुष्टि होती है कि वह धर्मशाला में 11 दिन ठहरे थे।

बहरहाल, जिस हरी कोठी में विवेकानंद के ठहरने की बात अंकित है, उसे कुटलैहड़ रियासत के राजपरिवार ने बाद में खरीदा। राजा रूपेंद्र पाल का परिवार अब चंडीगढ़ में रहता है और गॢमयों में इसी कोठी में रुकता है। रूपेंद्र पाल के पुत्र शिवेंद्र पाल गर्व महसूस करते हैं कि भारत के सपूत स्वामी विवेकानंद उस आवास में ठहरे थे जो अब उनका है। बहरहाल, आध्यात्मिक चेतना के महान स्रोत स्वामी विवेकानंद के धर्मशाला भ्रमण के वर्ष से जुड़ा हर भ्रम शासन-प्रशासन को दूर करना चाहिए।

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