सतत विकास में हिमाचल की बड़ी छलांग, पहाड़ी राज्यों की श्रेणी में पाया पहला स्थान
सतत विकास लक्ष्यों को हासिल करने में पहाड़ी राज्यों में हिमाचल पहले स्थान पर है। पड़ोसी राज्य उत्तराखंड दो पायदान नीचे है। उत्तर-पूर्वी राज्य 60 से 65 सूचकांक के बीच हैं। देशभर में हिमाचल दूसरे स्थान पर है।
शिमला, राज्य ब्यूरो। सतत विकास लक्ष्यों को हासिल करने में पहाड़ी राज्यों में हिमाचल पहले स्थान पर है। पड़ोसी राज्य उत्तराखंड दो पायदान नीचे है। उत्तर-पूर्वी राज्य 60 से 65 सूचकांक के बीच हैं। देशभर में हिमाचल दूसरे स्थान पर है। पिछले साल के मुकाबले पांच अंकों की छलांग लगाकर हिमाचल 74वीं रैंकिंग पर पहुंच गया है। हिमाचल की मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने इस उपलब्धि के लिए प्रदेश के लोगों को बधाई दी है। उन्होंने कहा कि मेहनतकश हिमाचलियों के सामूहिक प्रयास से यह संभव हो पाया है।
सतत विकास लक्ष्यों को लेकर नीति आयोग ने 2020-21 के लिए सूचकांक जारी किया है। इसमें केरल ने 75 अंकों के साथ सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन कर पहला स्थान हासिल किया है। नीति आयोग ने सामाजिक, आर्थिक और पर्यावरणीय मापदंडों पर देश के राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों की प्रगति का मूल्यांकन किया है। दूसरे स्थान पर हिमाचल के साथ तमिलनाडु है। विकास की दौड़ में हिमाचल के पड़ोसी राज्य पंजाब, हरियाणा, उत्तराखंड, जम्मू-कश्मीर पीछे रह गए हैं। केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ अपनी श्रेणी में पहले स्थान पर है। इस वर्ष जारी रिपोर्ट में भारत सूचकांक में बिहार, झारखंड और असम सबसे खराब प्रदर्शन करने वाले राज्यों में शामिल हैं।
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स्वास्थ्य, शिक्षा, जीवनस्तर सुधरा
हिमाचल ने स्वास्थ्य, शिक्षा व जीवनस्तर के मामले में सुधार किया है। इन तीनों मानकों में हिमाचल ने केरल की बराबरी की है। आधारभूत ढांचा और औद्योगिक विकास के मामले में मामूली कमी के कारण प्रदेश को दूसरे स्थान से संतोष करना पड़ा है।
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पीछे छूट गए पड़ोसी
पड़ोसी राज्य पंजाब के 68 सूचकांक हैं और हरियाणा 67 सूचकांक पर रह गया। उत्तराखंड ने 72 सूचकांक चार राज्यों आंध्र प्रदेश, गोवा, कर्नाटक के साथ मुकाबला करते हुए प्राप्त किया। उत्तराखंड के अतिरिक्त दूसरे पहाड़ी राज्य जम्मू-कश्मीर 66 सूचकांक प्राप्त कर सका।
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14 मानकों में उत्कृष्ट प्रदर्शन
हिमाचल ने 14 मानकों में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया। इनमें प्रदेश में गरीबी नहीं है, भूखमरी नहीं, सामाजिक असमानता नहीं, बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं, लिंग समानता, स्वच्छ जल एवं स्वच्छता, उद्योग, नवाचार एवं आधारभूत ढांचा मजबूत हुआ। शहरी एवं सामुदायिक विकास, जिम्मेदार उपभोग एवं उत्पादन, पर्यावरणीय प्रयास, शांति न्याय एवं सुदृढ़ संस्थान, गुणात्मक शिक्षा, काम की उत्कृष्ठता एवं आर्थिक विकास के क्षेत्र में दूसरे राज्यों से बेहतर काम किया है।