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सर्वेक्षण कांगड़ा में, सौगात मंडी को

गगल स्थित कांगड़ा हवाई अड्डा के विस्तार को लेकर वर्षों जितना डर इसकी जद में आने वाले लोगों के मन में रहा। उससे भी ज्यादा धन व समय सरकारों ने इसके सर्वे व निरीक्षण पर खर्च कर दिया। लेकिन जैसे ही केंद्र और प्रदेश में एक ही दल में सरकार आई तो विस्तारीकरण पर हुआ पूरा काम शून्य हो गया और विस्तारीकरण की फाइल ही बंद कर दी।

By JagranEdited By: Published: Mon, 18 Mar 2019 08:24 PM (IST)Updated: Mon, 18 Mar 2019 08:24 PM (IST)
सर्वेक्षण कांगड़ा में, सौगात मंडी को
सर्वेक्षण कांगड़ा में, सौगात मंडी को

मुनीष गारिया, धर्मशाला

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गगल स्थित कांगड़ा एयरपोर्ट के विस्तार के लिए वर्षो से जितना डर इसकी जद में आने वाले लोगों के मन में रहा, उससे भी ज्यादा धन सरकारों ने सर्वे व निरीक्षण पर खर्च कर दिया। जैसे ही केंद्र और प्रदेश में एक ही दल की सरकारें बनी तो विस्तारीकरण पर हुआ काम शून्य हो गया यानी फाइल ही बंद कर दी गई। 2013 से शुरू हुई हवाई अड्डा विस्तारीकरण की कवायद में हर छह माह के भीतर कोई न कोई केंद्रीय टीम यहां पहुंची और सर्वेक्षण कर रिपोर्ट बनाती रही। जब भी टीम पहुंचती तो विस्तारीकरण की जद में आने वाले परिवारों की धुकधुकी भी बढ़ जाती थी। एयरपोर्ट के विस्तारीकरण की जद में कांगड़ा व शाहपुर हलके के आठ गांवों के लोग आने थे। एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया एवं प्रदेश सरकार ने परिवारों को नोटिस जारी कर दिए थे कि वे अन्यत्र रहने की व्यवस्था कर लें, जैसे ही केंद्र व प्रदेश में भाजपा की सरकारे बनी तो विस्तारीकण का काम बंद हो गया। तर्क दिया कि इस एयरपोर्ट का विस्तारीकरण करने की बजाए मंडी में अंतरराष्ट्रीय स्तर का हवाई अड्डा बनाया जाएगा। हालांकि इससे आठ गांवों के परिवारों को राहत मिली है लेकिन राजनीति ने कांगड़ा हवाई अड्डे के वजूद पर संकट के बादल ला दिए हैं। 1920 मीटर बनाई जानी थी हवाई पट्टी

एयरपोर्ट में बड़े विमानों को उतारने के लिए हवाई पट्टी को 1370 से बढ़ाकर 1920 मीटर बनाया जाना था। वर्तमान में 1370 मीटर लंबी और 30 मीटर चौड़ी हवाई पट्टी है। एयरपोर्ट में दो बड़े जहाजों को पार्क करने की व्यवस्था भी है। 12 मई, 2015 को एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया की छह सदस्यीय टीम यहां पहुंची थी और उसके बाद तय हुआ था कि सनौरां से कुठमां तक 2388 कनाल भूमि अधिग्रहीत की जानी थी। शाहपुर तहसील के गांवों की 835.63 और 1552.33 कनाल भूमि कांगड़ा तहसील के तहत गांवों की ली जानी थी। प्रस्तावित भूमि में 448 निर्माण हैं और इनमें दुकानें, घर व पशुशालाएं शामिल हैं। बहुमंजिला इमारतों व मोबाइल फोन टावरों पर भी लगा था प्रतिबंध

हवाई अड्डे के आसपास बहुमंजिला इमारतों के निर्माण और मोबाइल फोन टावरों पर भी एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया ने प्रतिबंध लगाया था। विस्तारीकरण की योजना के बाद तय हुआ था कि यह नियम पुराना मटौर क्षेत्र तक लागू होगा। ये गांव होने थे प्रभावित

भेड़ी, ढुगियारी, गगल, सनौरां, बैंटलू, जुगेहड़, रच्छियालु व कुठमां। कहां कितनी भूमि का होना था अधिग्रहण

कांगड़ा तहसील

क्षेत्र कुल रकबा मलकीयत सरकारी पंचायत निर्माण

भेड़ी 109.46 99.36 - - 56

ढुगियारी 41.54 40.39 1.15 - 27

गगल 432.77 141.11 38.16 253.43 97

सनौरां 251.85 151.71 100.13 - 94

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शाहपुर तहसील

क्षेत्र कुल रकबा मलकीयत सरकारी पंचायत निर्माण

बैंटलू 338.40 259.52 78.87 - 53

जुगेहड़ 781.22 265.52 463.58 - 58

रच्छियालु 238.69 201.62 38.47 - 21

कुठमां 246.25 218.37 27.87 - 42

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यह बात सही है कि हवाई अड्डा बनने से गगल को पहचान मिली है, लेकिन विस्तारीकरण कार्य शुरू हो जाता तो कई गांवों के लोग सड़क पर आ जाने थे।

बिदू, सनौरां। -हम लोग यहां वर्षो से रह रहे हैं और यहीं हमारा जीवन यापन हो रहा है। विस्तारीकरण होता और हमें यहां से उठाया जाता तो हमारा हाल भी पौंग बांध विस्थापितों की तरह ही होना था।

मिलाप चंद, रच्छियालु। -यहां दिन में तीन फ्लाइटें आ रही हैं और आने जाने वालों को सुविधा मिल रही है। एयरपोर्ट की जैसी स्थिति है वैसी ही ठीक है।

अतुल, रच्छियालु। -वर्षों से हम लोग इसी डर से जी रहे हैं कि कब सरकार की ओर यहां से उठने के लिए फरमान जारी हो जाएंगे। अब थोड़ी राहत मिली है।

मिलाप चंद, रच्छियालु


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