मानसून सत्र में पास किया जाए निजी स्कूल फीस विधेयक, चेतावनी- देरी की तो चुनाव में भुगतना पड़ेगा नतीजा
Private School Fees Bill निजी स्कूलों पर लगाम लगाने के लिए बनाए गए बिल को जल्द लागू करने की मांग शुरू हो गई है। अभिभावक संघ शिमला ने सरकार से मांग की है कि विधानसभा के मानसून सत्र में इस बिल को लाकर पारित किया जाए।
शिमला, जागरण संवाददाता। Private School Fees Bill, निजी स्कूलों पर लगाम लगाने के लिए बनाए गए बिल को जल्द लागू करने की मांग शुरू हो गई है। अभिभावक संघ शिमला ने सरकार से मांग की है कि विधानसभा के मानसून सत्र में इस बिल को लाकर पारित किया जाए। यदि सरकार इसमें देरी करती है तो चुनावों में इसके नतिजे भुगतने के लिए भी तैयार रहें। शिमला में आयोजित प्रेसवार्ता को संबोधित करते हुए अभिभावक संघ के अध्यक्ष रमेश ठाकुर, डॉ. संजय पांडे, प्रदीप गांधी ने कहा कि कोरोना काल में हजारों लोगों की नौकरियां चली गई हैं। स्कूल बंद होने के कारण ऑनलाइन माध्यम से ही पढ़ाई करवाई जा रही है। उन्होंने सरकार से मांग की है कि पिछले साल की तर्ज पर केवल टयूशन फीस लेने के ही निर्देश स्कूलों को दिए जाएं।
इस साल भी वार्षिक शुल्क को माफ किया जाए ताकि अभिभावकों को कोरोना काल में राहत मिल सके। संघ के अध्यक्ष रमेश ठाकुर ने कहा कि फीस नियंत्रित करने को लेकर बनाए गए कानून को लेकर विभाग ने सुझाव मांगे थे। संघ ने अपने सुझाव शिक्षा निदेशक को सौंपे हैं। सरकार से मांग की गई है कि इस बिल को और ज्यादा सख्त किया जाए ताकि नियमों की अवहेलना करने वालों पर सख्त कार्रवाई हो सके।
उन्होंने कहा कि हर साल छह फीस के हिसाब से फीस बढ़ाना गलत है। इसमें 3 फीसद के हिसाब से वार्षिक बढ़ोतरी की मांग की गई है। स्कूलों में पीटीए का जो गठन किया जाए वह लोकतांत्रित आधार पर होना चाहिए। सभी स्कूलों में फीस का भुगतान आय के तर्ज पर ही मासिक आधार पर हो और सभी निजी स्कूल शुल्क का विस्तृत ब्यौरा भी प्रदान करें।
संघ ने आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार बोलती कुछ है और करती कुछ है। सरकार के आदेशों को निजी स्कूल मान ही नहीं रहे हैं। उन्होंने कहा कि निजी स्कूल प्रबंधक इस बिल का विरोध कर रहे हैं। संघ ने चेतावनी देते हुए कहा कि यदि निजी स्कूल प्रबंधकों के दबाव में सरकार इस बिल को लागू करने में देरी करती है तो चुनावों में इसके नतिजे भुगतने के लिए भी वह तैयार रहे।