National Mushroom day: सोलन शहर ने चखाया था देश को मशरूम का स्वाद, इस तरह शुरू हुआ था उत्पादन
National Mushroom day देश को मशरूम का स्वाद चखाने का श्रेय हिमाचल प्रदेश के सोलन शहर को जाता है।
सोलन, मनमोहन वशिष्ठ। देश को मशरूम का स्वाद चखाने का श्रेय हिमाचल प्रदेश के सोलन शहर को जाता है। इसी शहर में इसकी खोज की गई। यहां भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आइसीएआर) ने 1961 में मशरूम पर कार्य शुरू किया था। पहले छोटे स्तर पर बटन मशरूम उत्पादन किया गया। 1970 में चंबाघाट में कृषि विश्वविद्यालय ने मशरूम पर रिसर्च शुरू की। 1975 में ढिंगरी किस्म खोजी गई। आज देश में प्रतिवर्ष एक लाख नब्बे हजार टन व हिमाचल में 15 हजार टन मशरूम उगाया जाता है।
सोलन में देश का एकमात्र मशरूम अनुसंधान निदेशालय (डीएमआर) भी स्थापित है। मशरूम की खोज के लिए सोलन शहर के योगदान व मशरूम अनुसंधान में डीएमआर के प्रयासों को देखते हुए 10 सितंबर, 1997 को इसे मशरूम सिटी ऑफ इंडिया घोषित किया गया।
कई रोगों में लाभदायक
यह किसान की आर्थिकी को मजबूत करने के साथ-साथ कैंसर व अन्य रोगों को दूर करने में भी लाभदायक होता है। डीएमआर के वैज्ञानिक वर्षभर मशरूम की नई किस्मों की खोज व उनसे कैसे लोगों को लाभ मिले इस पर रिसर्च करते हैं।
डीएमआर में मशरूम की 30 किस्मों पर चल रहा कार्य
1983 में राष्ट्रीय मशरूम अनुसंधान व प्रशिक्षण केंद्र सोलन में अस्तित्व में आया। इसे 26 दिसंबर, 2008 को डीएमआर में अपग्रेड किया गया था। 27 राज्यों में डीएमआर की विकसित तकनीकों के परीक्षण व अन्य कार्यों के लिए 23 समन्वयक व नौ सहकारी केंद्र हैं। डीएमआर 30 अलग-अलग किस्मों की मशरूम पर कार्य कर रहा है। इसको शिटाके मशरूम पर अकेला पेटेंट मिला है। शिटाके पहले तीन महीने में उगाई जाती थी, लेकिन अब नई विकसित तकनीक से डेढ़ माह में उगाई जा रही है। ऐसी किस्में तैयार की जा रही है जो 12 डिग्री से 32 डिग्री तापमान में भी उगाई जा सकेगी।
गेनोड्रमा मशरूम, कॉर्डिसेप्स मशरूम व शिटाके मशरूम कई लाइलाज रोगों को दूर करने में लाभदायक सिद्ध हो रहा है। मशरूम उत्पादन के लिए न तो जमीन की जरूरत पड़ती है न ही विशेष सामान की। पराली जैसे वेस्ट में भी इसे उगाया जा सकता है। -डॉ. वीपी शर्मा, निदेशक, डीएमआर सोलन।