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भक्ति ही जीव का अमूल्य गहना : अमृतलता

भक्ति ही जीव वह अमूल्य गहना है जिसे कोई छीन नहीं सकता है। सांसारिक गहने क्षण भंगुर हैं यदि कुछ साथ में जाएगा तो वह केवल और केवल प्रभु भक्ति और सत्कर्म हैं जोकि अंतिम

By JagranEdited By: Published: Wed, 24 Apr 2019 06:34 PM (IST)Updated: Thu, 25 Apr 2019 06:38 AM (IST)
भक्ति ही जीव का अमूल्य गहना : अमृतलता
भक्ति ही जीव का अमूल्य गहना : अमृतलता

संवाद सहयोगी, जसूर : भक्ति ही वह अमूल्य गहना है जिसे कोई छीन नहीं सकता है। सांसारिक गहने क्षण भंगुर हैं यदि कुछ साथ में जाएगा तो वह केवल भक्ति और सत्कर्म हैं, जोकि अंतिम बेला में भी सहाई बनते हैं। इसलिए सांसारिक माया के मोह का त्यागकर सदा श्री हरी का ध्यान करना चाहिए। यह प्रवचन नूरपुर क्षेत्र की पंचायत कोपड़ा के गांव भटका में तीन दिवसीय संगीतमयी श्रीरामकथा के पहले दिन वैष्णव विरक्त मंडल के श्रीमहंत साध्वी अमृतलता दास महाराज ने कहे। उन्होंने कहा सत्य को त्याग कर मिथ्या के पीछे भागना ही दुखों का कारण है। परमानंद की प्राप्ति के लिए प्रेमाभक्ति सबसे उत्तम है लेकिन प्रेम भक्ति को प्राप्त करने के लिए आहार, व्यवहार और विचार को शुद्ध कर पूर्ण रूप से अपने आपको श्री हरी को समर्पित करने से सब संभव हो सकता है। इससे पहले कलश यात्रा भी निकाली गई। इस अवसर पर उत्तम चंद शर्मा, देसराज शर्मा, बिट्टू शर्मा, बबिता शर्मा, खुशी राम, हरबंस लाल, रामप्यारी व अन्य मौजूद रहे।

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