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श्री बज्रेश्वरी देवी पिंडी का मक्खन से श्रृंगार, 20 जनवरी से बंटेगा प्रसाद

Makar Sankranti 2019 मकर संक्रांति के शुभ अवसर पर श्री बज्रेश्वरी देवी मंदिर में पिंडी तथा क्षेत्रपाल भगवान का मक्खन से श्रृंगार किया गया।

By BabitaEdited By: Published: Tue, 15 Jan 2019 02:43 PM (IST)Updated: Tue, 15 Jan 2019 02:43 PM (IST)
श्री बज्रेश्वरी देवी पिंडी का मक्खन से श्रृंगार, 20 जनवरी से बंटेगा प्रसाद
श्री बज्रेश्वरी देवी पिंडी का मक्खन से श्रृंगार, 20 जनवरी से बंटेगा प्रसाद

कांगड़ा, बिमल बस्सी। मकर संक्रांति के शुभ अवसर पर सोमवार को देर रात माता श्री बज्रेश्वरी देवी मंदिर की पिंडी तथा क्षेत्रपाल भगवान पर मक्खन का लेप चढ़ाकर फल और मेवों से मां की पिंडी का श्रृंगार किया गया। मां की पिंडी के श्रृंगार के लिए श्रद्धालुओं ने बज्रेश्वरी देवी मंदिर में 30 क्विंटल देसी घी अर्पित किया था, जिसका 100 बार पानी से धोकर मक्खन तैयार किया गया। इस घी से करीब 25 क्विंटल, 32 किलो मक्खन तैयार हुआ है। भगवती जागरण के दौरान माता रानी की मक्खन से सुशोभित पिंडी को देर रात्रि से लेकर मंगलवार दोपहर तक करीब 10,000 श्रद्धालुओं ने दर्शन किए। बज्रेश्वरी देवी जी का मंदिर 51 सिद्ध पीठों में से एक माना जाता है। मां बज्रेश्वरी देवी के दर्शनों के लिए यहां पूरे भारत से श्रद्धालु आते हैं। 

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क्या है मान्यता  

पौराणिक कथाओं के अनुसार, देवी सती के पिता दक्षेस्वर द्वारा किए यज्ञ में उन्हें न बुलाने पर उन्होंने अपना और भगवान शिव का अपमान समझा और उसी हवन कुंड में कूदकर प्राण त्याग दिए थे। इन घावों व जालंधर दैत्य से युद्ध के दौरान आए जख्मों को भरने के लिए माता के शरीर पर यह लेप लगाया जाता है। लेकिन इस दौरान माता सती की मृत्यु हो गई थी। तब भगवान शंकर देवी सती के मृत शरीर को लेकर पूरे ब्रह्मांड के चक्कर लगा रहे थे। उसी दौरान भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से सती के शरीर को 51 भागों में विभाजित कर दिया था और उनके अंग धरती पर जगह-जगह गिरे। जहां उनके शरीर के अंग गिरे वहां एक शक्तिपीठ बन गया। उसमें से मां सती का बायां वक्षस्थल इस स्थान पर गिरा था, जिसे मां बज्रेश्वरी या कांगड़ा माई के नाम से पूजा जाता है। 

मक्खन की क्या है विशेषता 

माता श्री बज्रेश्वरी देवी की पिंडी पर चढ़ाया गया मक्खन बेहद शुद्ध है तथा शरीर में होने वाली दर्द अथवा चरम रोग के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। शरीर पर होने वाली फोड़े फुंसियों पर मक्खन का लेप लगाने से राहत मिलती है तथा चर्म रोग पर मक्खन का लेप लगाने से अत्यंत लाभ प्राप्त होता है। मक्खन की महत्ता को लेकर दूर-दूर से श्रद्धालु मक्खन रूपी प्रसाद प्राप्त करने के लिए माता ब्रजेश्वरी देवी मंदिर में पधारते हैं। 

20 को बंटेगा मक्खन रूपी प्रसाद 

मंदिर अधिकारी नीलम राणा ने बताया कि माता की पिंडी पर मक्खन का लेप पांच दिन तक चढ़ा रहेगा। 20 जनवरी को सुबह 5:00 बजे लेप उतारने का कार्य शुरू हो जाएगा, इसके पश्चात प्रसाद के रूप में श्रद्धालुओं में मक्खन बांटा जाएगा।


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