16500 फीट ऊंचा शिंकुला दर्रा बहाल होते ही मनाली से जुड़ी कारगिल घाटी, जांस्कर घाटी के लोगों को भी राहत
Shinkula Pass Clear सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) ने 16500 फीट ऊंचे शिकुला दर्रे को बहाल कर लेह लद्दाख की कारगिल व जांस्कर घाटी को मनाली से जोड़ दिया है। शिंकुला दर्रे के बहाल होने से जांस्कर घाटी के लोगों को राहत मिल गई है।
मनाली, जसवंत ठाकुर। सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) ने 16500 फीट ऊंचे शिकुला दर्रे को बहाल कर लेह लद्दाख की कारगिल व जांस्कर घाटी को मनाली से जोड़ दिया है। शिंकुला दर्रे के बहाल होने से जांस्कर घाटी के लोगों को राहत मिल गई है। दारचा-पदुम-जांस्कर सड़क बहाल होने से मनाली से कारगिल का सफर 260 किलोमीटर कम हो गया है। बीआरओ ने इस बार अप्रैल व मई में लगातार बर्फ बारी जारी रहने के बाद शिंकुला दर्रे को पिछले साल की तुलना में एक महीना पहले बहाल कर दिया है। बीआरओ ने बारालाचा दर्रे के बाद कुंजुम दर्रे को बहाल किया और वीरवार को शिंकुला दर्रे को बहाल करने में सफलता पाई है।
अटल टनल ने दी देश को मजबूती
तीन अक्टूबर 2020 को तैयार हुई नौ किमी लंबी अटल टनल ने देश को मजबूती दी है। हालांकि सर्दियों में चीन व पाकिस्तान सीमा पर पहुंचने के लिए शिंकुला दर्रे में टनल का निर्माण करना जरूरी है लेकिन अटल टनल के बन जाने से एक ओर जहां बीआरओ ने 28 मार्च को मनाली लेह मार्ग बहाल कर रिकॉर्ड बनाया। वहीं, सर्दियों में लाहुल व पांगी घाटी को मनाली से जोड़े रखा।
आपात स्थिति में सुरक्षित मार्ग
कुछ जगह सड़क चौड़ाई का कार्य चल रहा है जिसके पूरा होते ही भारतीय सेना के लिए सरहद में पहुंचना और आसान हो जाएगा। आपात स्थिति में यह मार्ग सबसे सुरक्षित है। इस मार्ग की दूरी कम होने से समय भी कम लगेगा। पहले कारगिल पहुंचने के लिए मनाली से सरचू-लेह व कारगिल तक 885 किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ती थी जो अटल टनल बनते ही 830 किमी रह गई थी अब शिंकुला से जांस्कर घाटी होते हुए कारगिल की दूरी 634 किलोमीटर ही रह गई है। जांस्कर घाटी के लोगों को पहले कारगिल, लेह व सरचू होते हुए चार दिन का सफर करना पड़ता था। अब शिकुला दर्रा के बहाल होते ही एक दिन के भीतर जांस्कर घाटी से मनाली पहुंच सकेंगे।
शिंकुला टनल को रक्षा मंत्रालय से मिल गई है हरी झंडी
शिंकुला दर्रे में 14 किलोमीटर और तीन किलोमीटर टनल बनाने की योजना तैयार की थी। रक्षा मंत्रालय ने तीन किमी लंबी टनल को हरी झंडी दी है। सामरिक महत्व को देखते हुए सुरंग की प्रक्रिया तेज हो गई है। टनल के बनने से सर्दियों में भी कारगिल व लेह पहुंचना आसान हो जाएगा।
क्या कहते हैं बीआरओ कमांडर
बीआरओ कमांर कर्नल उमा शंकर का कहना है सरचू होते हुए लेह-लद्दाख को पहले ही मनाली से जोड़ दिया था। मंगलवार को कुंजुम दर्रे को भी बहाल कर लिया था अब जांस्कर व कारगिल घाटी को शिंकुला होते हुए मनाली से जोड़ा है। जल्द ही रोहतांग दर्रे को भी बहाल कर लिया जाएगा।