Move to Jagran APP

लोकमित्र केंद्र संचालकों को दस हजार रुपये प्रति माह दें मानदेय : शशिपाल

हमीरपुर जिला के लोकमित्र केंद्र संचालकों ने मांगों के संबंध में विधायक नरेंद्र ठाकुर को ज्ञापन सौंपा। टाउन हाल में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान लोकमित्र केंद्र संचालक उनसे मिले। उन्होंने मांग उठाई कि लोकमित्र केंद्र संचालकों के लिए न्यूनतम मानदेय दस हजार रुपये तय किया जाए।

By Virender KumarEdited By: Published: Sun, 05 Dec 2021 06:00 PM (IST)Updated: Sun, 05 Dec 2021 06:00 PM (IST)
लोकमित्र केंद्र संचालकों को दस हजार रुपये प्रति माह दें मानदेय : शशिपाल
हमीरपुर में विधायक नरेंद्र ठाकुर को ज्ञापन सौपते लोकमित्र केंद्र संचालक। जागरण

हमीरपुर, संवाद सहयोगी। हमीरपुर जिला के लोकमित्र केंद्र संचालकों ने मांगों के संबंध में विधायक नरेंद्र ठाकुर को ज्ञापन सौंपा। टाउन हाल में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान लोकमित्र केंद्र संचालक उनसे मिले। उन्होंने मांग उठाई कि लोकमित्र केंद्र संचालकों के लिए न्यूनतम मानदेय दस हजार रुपये तय किया जाए। लोकमित्र केंद्र संचालकों को पंचायत घर या किसी सरकारी भवन में बैठाने की व्यवस्था की जाए। वहां का बिजली, इंटरनेट का खर्च, पानी आदि का खर्च सरकार द्वारा देय हो।

prime article banner

उन्होंने कहा कि लोकमित्र केंद्रों में कई तरह की सेवाएं लोगों को प्रदान की जा रही हैं, लेकिन इसके लिए इन्हें नाममात्र दाम दिए जाते हैं। काम के दाम का 80 फीसद हिस्सा सरकार के खाते में चला जाता है। इनके हिस्से में आने वाला नाममात्र है। पिछले 13 साल से सेवाओं के दाम रिवाइज नहीं किए गए हैं। जो मूल्य 13 साल पहले थे, आज भी वही है। ऐसे में इनके लिए इनके परिवार का पालन पोषण करना संभव नहीं है। सरकार को इनके बारे में सोचना चाहिए।

इन्हीं मांगों को लेकर समस्त लोकमित्र संचालक सीएससीवीएल सोसायटी हमीरपुर ने ज्ञापन सौंपा है। सोसायटी के उपप्रधान शशिपाल ने कहा कि जब कोई एक लोकमित्र केंद्र की शुरुआत करता है उसके लिए कम से कम एक लैपटाप, फोटोस्टेट, कलर ङ्क्षप्रट, लैमिनेशन मशीन, फर्नीचर, स्टेशनरी इत्यादि की आवश्यकता होती है। शुरुआत में ही खर्च करीब डेढ़ लाख रुपये आ जाता है। लोकमित्र केंद्र संचालक या तो खुद की दुकान में काम शुरू करता है या फिर किराये की दुकान में। दुकान का किराया भी हजारों रुपयों में भरना पड़ता है।

उन्होंने कहा कि हिमाचल आनलाइन सेवा से प्रमाणपत्रों का शुल्क से लाभ बहुत कम है। उपयोगकर्ता शुल्क 10 रुपये, प्रक्रिया शुल्क 10 रुपये, प्रशासन शुल्क सात रुपये है जो कि इन सभी को मिलाकर 27 रुपये बनता है। इसमें से 20.56 रुपये सरकार के खाते में जाते हैं तथा उन्हें 6.44 रुपये ही बचते हैं। इन 27 रुपये से दोगुना तो प्रति आवेदन पर ही खर्च हो जाता है।

उन्होंने कहा कि कोई भी सेवा जो लोकमित्र केंद्रों के तहत लोगों को दी जाती है उसको लोकमित्र केंद्र तक ही सीमित किया जाए, खुले में न रखा जाए। इस अवसर पर सोसायटी के प्रधान सुमित राठौर, सचिव राजेश कुमार सहित अन्य मौजूद रहे।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.